अयोध्या (उत्तरप्रदेश) – रामजन्मभूमि का प्रश्न हल हो गया है, तब भी मथुरा और काशी के मंदिरों का प्रश्न अभी नहीं सुलझा है । पहले काशी के प्रश्न को हल करना है अथवा मथुरा का ?, इस संबंध में हम सब एकत्रित बैठकर विचार करेंगे । मेरा जन्म ही अयोध्या, काशी और मथुरा के लिए हुआ है । अयोध्या में भूमिपूजन होने के उपरांत हम काशी और मथुरा का विचार करेंगे, बजरंग दल के सहसंस्थापक और भाजपा के राज्यसभा के भूतपूर्व सदस्य विनय कटियार ने ऐसा प्रतिपादन किया है । ‘आंदोलनों में सम्मिलित होने के कारण मैं कारागृह भी जाकर आया हूं; परंतु हम कभी झुके नहीं और ना ही कभी घबराए’, ऐसा वे बोले । विनय कटियार राममंदिर आंदोलन के महत्त्वपूर्ण नेताओं में से एक हैं । वे राममंदिर के भूमिपूजन समारोह के लिए अयोध्या आए हैं ।
काशी और मथुरा के संबंध में चर्चा प्रारंभ
कुछ दिनों पूर्व ‘आउटलुक’ नियतकालिक को दी गई भेंटवार्ता में कटियार ने कहा था कि, ‘काशी और मथुरा के मंदिर निश्चित ही हमारी कार्यसूची के भाग हैं; परंतु उसके लिए अधिक समय लगेगा । काशी, मथुरा और अयोध्या के मंदिर अतिक्रमणमुक्त करने की हमारी मांग थी । अब अयोध्या का अभियान पूर्ण हो गया है । उसी प्रकार काशी और मथुरा का अभियान भी पूर्ण होगा । काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के स्थान पर समझौता करने की हमारी मांग थी । इन मंदिरों के संबंध में भाजपा के नेताआें से चर्चा चल रही है ।’
ज्ञानव्यापी मस्जिद हटानी पडेगी !
काशी की ‘ज्ञानव्यापी मस्जिद’ और मथुरा की ‘शाही ईदगाह’ ये दोनों वास्तु ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप १९९१’ कानून के अनुसार संरक्षित वास्तु हैं’, इस संदर्भ में प्रश्न पूछने पर कटियार बोले कि, ‘रहने दें संरक्षित; परंतु इस स्थान से मस्जिद हटानी ही पडेगी । क्या होगा, यह आनेवाले समय में देखेंगे ।’