साधक, साथ ही पाठक, हितचिंतक एवं धर्मप्रेमियों के लिए महत्त्वपूर्ण जानकारी
मई और जून के महीने में भारत को अम्फान एवं निसर्ग जैसी शक्तिशाली चक्रवातों का सामना करना पडा । २०.५.२०२० को भारत के पूर्वी समुद्र तट को अम्फान, तथा २ व ३ जून २०२० को मुंबई सहित कोंकण समुद्रतट को निसर्ग चक्रवात का सामना करना पडा ।
मनुष्य भयभीत हो गए, हवा की इतनी तीव्र गति और मुसलाधार वर्षा के स्वरूपवाले इन चक्रवातों के कारण बडे-बडे वृक्ष भी धराशाई हो गए । इन चक्रवातों के कारण घरों की दीवारें गिरना, छत उडना आदि के कारण बडी मात्रा में आर्थिक हानि हुई । अनेक लोग बेघर हो गए । कई स्थानों पर बिजली के खंभे गिरने से बिजली की आपूर्ति ठप्प हो गई । मोबाइल का नेटवर्क ठप्प होने से संपर्क तंत्र भी बाधित हुआ । जनजीवन पूर्णतः ठप्प हो गया । प्रकृति के इस रौद्र रूप को देखकर नागरिक भयभीत हो गए ।
चक्रवात, अतिवृष्टि, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाआें का कब सामना करना पड जाए, यह बताया नहीं जा सकता । किसी भी क्षण इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो सकती है । अतः इसकी पूर्वतैयारी करना आवश्यक होता है । इस दृष्टि से सभी गंभीरता से निम्नांकित सूत्रों का पालन करें ।
संकट के समय मनोबल टिकाए रखने हेतु साधना का कोई विकल्प नहीं है, अत: साधना पर ध्यान दें ! आज विज्ञान ने भले ही सभी क्षेत्रों में प्रगति कर ली हो; परंतु चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा को रोकना मनुष्यशक्ति के परे है । ऐसे समय में स्थिर रहकर मनोबल टिकाए रखना ही हमारे हाथ में होता है । इसके लिए नित्य जीवन में साधना के प्रयास करना अनिवार्य है । साधना के बल पर कठिन से कठिन स्थिति का सामना भी धैर्य से किया जा सकता है । पाठकों, आपदा की स्थिति में ही नहीं, अपितु अभी से साधना आरंभ करें और अपने साथ आध्यात्मिक ऊर्जा (ईश्वरीय बल) का संरक्षण लेकर निश्चिंत रहें ! |
१. प्राकृतिक आपदाआें की दृष्टि से आवश्यक पूर्वतैयारी
अ. नए घर का निर्माण करना हो, तो टिन की छत के स्थान पर पक्की (उदा. स्लैब) छत का विचार करें ।
आ. घर की छत के रूप में लगाया टिन का शेड भले कितना भी मजबूत लगता हो; परंतु चक्रवाती हवा के कारण टिन उड जाते
हैं । छत पर लगाए टिन न उड पाएं; इसलिए टिन पर सदैव रेत से भरी हुई बोरियां रखें; क्योंकि चक्रवात कब आएगा, यह कहा नहीं जा सकता । (टिन का क्षेत्रफल ५०० चौरस फुट तक हो, तो छत पर प्रत्येक ५ से १० किलो वजन की कुछ बोरियां चारों बाजुआें में और आवश्यकता के अनुसार मध्य भाग में रखें । इन बोरियों की गुणवत्ता अच्छी हो, यह आवश्यक है ।)
इ. घर के आस-पास बहुत पुराने और जीर्ण पेड हों, तो उन्हें कटवा दें, जिससे चक्रवात के समय ऐसे पेड गिरने से घर को हानि न पहुंचे ।
ई. अपनी इमारत अथवा घर के बाहर की सडक से हाई टेंशन बिजली के तार जाते हों और उनके पास पेड हों, तो वर्षा अथवा हवा चलने के कारण तार पर इन पेडों के गिरने से जीवहानि हो सकती है । इसलिए स्थानीय बिजली विभाग से संपर्क कर बिजली के तारों के पास स्थित पेडों की डाल काटने के लिए कहें ।
उ. किसी भी प्रकार के बिजली के तारों के नीचे खडे न रहें, साथ ही वहां चल-दूरभाष पर बात न करें । उसके नीचे पशु भी खडे न रहें, इसकी ओर ध्यान दें । बिजली के तारों से चिनगारियां (स्पार्किंग) निकल रही हों, तो बिजली विभाग को तुरंत इसकी जानकारी दें ।
ऊ. बिजली के खंभे, बिजली के तार, साथ ही पेडों के नीचे दोपहिया अथवा चारपहिया वाहन खडे करने के कारण चक्रवात से खंभे और पेड गिरने से इन वाहनों को बडी हानि पहुंच सकती है । अतः वहां वाहन खडे करना, वाहन चलाना आदि कृत्य न करें ।
ए. वर्षा ऋतु में अनिश्चित अवधि के लिए बिजली की आपूर्ति ठप्प हो सकती है; इसलिए घर में दीप, मोमबत्तियां, टॉर्च, लालटेन आदि का प्रबंध रखें ।
ऐ. घर की खिडकियां और दरवाजे ठीक से बंद किए हैं न, इसकी निश्चिति कर लें । वे ठीक से बंद न होते हों, तो उन्हें दुरुस्त
करवा लें ।
ओ. प्रशासन एवं मौसम विभाग की ओर से समय-समय पर प्रसारित की जानेवाली सूचनाआें का पालन करें, उनकी अनदेखी न करें ।
२. चक्रवात आने के संदर्भ में पूर्वसूचना मिली हो, तो सुरक्षात्मक आवश्यक कृत्य
अ. घर का आंगन, बरामदा, छत अथवा छज्जे जैसे स्थानों पर हलकी (अल्प वजनवाली) वस्तुएं हों, तो उन्हें तुरंत अंदर रखें अथवा व्यवस्थित रूप से बांधकर रखें ।
आ. पशुआें को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं ।
इ. घर में पानी और सूखे खाद्यान्न हों ।
ई. हवा की गति बढ रही है, यह ध्यान में आने पर रसोई घर का गैस और उसका मुख्य वॉल्व बंद करें और चक्रवात की तीव्रता अल्प होने तक उसे न खोलें ।
३. चक्रवात के समय घर पर हों तो क्या करना चाहिए ?
अ. घर से बाहर न निकलें, छज्जा और टिन के शेडवाले क्षेत्र में न जाएं । आसपास के घरों की छत, साथ ही वस्तुएं हवा से उडकर हानि पहुंचा सकती हैं ।
आ. घर की खिडकियां और दरवाजे ठीक से बंद कर लें । हवा की गति के कारण द्वार अपनेआप न खुल पाएं; इसके लिए अंदर से भारी वस्तुएं लगाकर रखी जा सकती हैं ।
इ. खिडकी के कांच टूटने से चोट लग सकती है । उसके कारण खिडकी के पास रुकना, सोना आदि कृत्य टालें ।
ई. घर के बिजली प्रवाह का मुख्य बटन (मेन स्विच) बंद कर बिजली का प्रवाह बंद करें । सॉकेट से दूरदर्शन संच, मिक्सर आदि उपकरणों की पिन (प्लग) निकालकर रखें ।
उ. इस समय में उद्वाहक यंत्र (लिफ्ट), वातानुकूलन यंत्र (एसी), हेयर ड्रायर आदि का उपयोग न करें । फ्रिज को स्पर्श करने से बचें ।
ऊ. कभी-कभी संकटकालीन स्थिति में अफवाहें फैलाई जाती हैं; इसलिए किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें । शासन द्वारा आधिकारिक रूप से प्रसारित जानकारी पर ही विश्वास करें ।
४. घर के बाहर होने पर बरतने योग्य आवश्यक सावधानी
अ. चक्रवात के समय कोई सुरक्षित स्थान देखकर वहां रुकें । अधिक संख्या में पेड, बिजली के खंभे से रहित स्थान को सुरक्षित कहा जा सकता है । पेड और बिजली के खंभे के नीचे न रुकें ।
आ. दोपहिया अथवा चारपहिया वाहन हो, तो उन्हें पेड और बिजली के खंभे से दूर किसी सुरक्षित स्थान पर खडी करें । चारपहिया वाहनों के द्वार और खिडकियां व्यवस्थित रूप से बंद होने की निश्चिति कर लें । उनके पहियों के नीचे भारी पत्थर के गतिरोधक लगाएं; क्योंकि चक्रवाती हवा के कारण वाहनों के अपनेआप आगे निकलने की संभावना होती है ।
इ. सडक पर गिरे पेडों को स्पर्श करने से बचें; क्योंकि ऐसे पेडों पर बिजली के तार गिरे होने की संभावना रहती है ।
ई. वर्षा से सर्वत्र नमी उत्पन्न हो गई हो, तो किसी भी बिजली के खंभे को स्पर्श न करें; क्योंकि नमी के कारण बिजली का झटका (शॉक) लग सकता है ।
५. चक्रवात समाप्त होने पर आवश्यक कृत्य
अ. वातावरण सामान्य होने तक घर से बाहर न निकलें ।
आ. चक्रवात और वर्षा के कारण परिसर में पेड गिरे हों अथवा बिजली के तार टूटे हों, तो उन्हें स्पर्श न करें । इस संदर्भ में अग्निशमन विभाग और बिजली विभाग को सूचित करें ।
इ. घर के गैस सिलिंडर से गैस का रिसाव हो रहा हो, तो तुरंत बिजली के प्रवाह का मुख्य बटन (मेन स्विच) बंद करें । सिलिंडर हवा के संपर्क में, उदा. छज्जे पर रखें । घर में यदि गैस की गंध फैली हो, तो बिजली का कोई भी बटन न दबाएं ।
ई. वाहन, बिजली के उपकरण, साथ ही घर में कोई नई सामग्री हो और उनका बीमा कराया गया हो तथा प्राकृतिक आपदा के कारण उसकी हानिभरपाई मिल सकती हो, तो इस संदर्भ में बीमा प्रतिनिधि का मार्गदर्शन लें । हानि पहुंची हुई वस्तुआें को समेटने से पहले उनके छायाचित्र खींचें और उनका पंचनामा करें ।
आपत्तियों के समय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) के हेल्पलाइन क्रमांक ०११-१०७८ से संपर्क कर मार्गदर्शन लिया जा सकता है ।
पाठकों को आवाहन !
चक्रवात की दृष्टि से यहां कुछ मार्गदर्शक सूत्र दिए गए हैं । इसके परिप्रेक्ष्य में पाठकों से अनुरोध है कि उन्हें कुछ सूत्र सुझाने हों, तो वे उन्हें निम्नांकित संगणकीय अथवा डाक पते पर भेजें ! इससे समाज के सामने व्यापक दृष्टि से विषय रखने में सहायता होगी । |