पाकिस्‍तान स्‍थित सैदपुर के प्राचीन राममंदिर में हिन्‍दुआें को पूजा करने पर प्रतिबंध !

  • इस्‍लामी देश में हिन्‍दुआें के मंदिरों की दुर्दशा जानिए ! इस संबंध में एक भी आधुनिकतावादी, मानवाधिकारवाले, प्रसारमाध्‍यम आदि मुंह  क्‍यों नहीं खोलते ?
  •  पाक और बांग्‍लादेश के अल्‍पसंख्‍यक हिन्‍दुआें और उनके श्रद्धास्‍थलों की रक्षा न कर पाना, गत ७२ वर्ष से अभी तक की सरकारों के लिए अत्‍यंत लज्‍जाजनक ! यह स्‍थिति परिवर्तित करने के लिए हिन्‍दू राष्‍ट्र ही आवश्‍यक है !

मंदिर का संरक्षक भी मुसलमान ही !
वर्तमान में इस मंदिर में एक भी मूर्ति का अस्‍तित्‍व नहीं है !

इस्‍लामाबाद – यहां स्‍थित सैदपुर गांव के मर्गल्लाह पर्वत की तलहटी में स्‍थित एक प्राचीन राममंदिर में हिन्‍दुआें को पूजा करना प्रतिबंधित है । इस मंदिर में दूर दूर से हिन्‍दू श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं; परंतु उन्‍हें पूजा किए बिना ही लौटना पडता है ।

१. १४ वर्ष के वनवास में भगवान श्रीराम, सीतामाता और श्री लक्ष्मण यहीं रहते थे । इस कारण हिन्‍दुआें के लिए इस मंदिर का विशेष महत्त्व है ।
२. इस पवित्र स्‍थल पर राजा मान सिंह ने वर्ष १५८० के लगभग राममंदिर का निर्माण किया था ।

३. यहां एक सुंदर रामकुंड था । भगवान श्रीराम ने इस कुंड का जल प्राशन किया था । वर्ष १८९३ तक प्रतिवर्ष इसी रामकुंड के निकट मेला लगता था । वर्तमान में इस प्राचीन रामकुंड का रूपांतरण एक दुर्गंध-युक्‍त नाले में हो गया है ।

४. विभाजन के पश्‍चात यह मंदिर पाक के नियंत्रण में चला गया । तब से हिन्‍दुआें को यहां पूजा नहीं करने दी जाती ।

५. वर्ष १९६० में पाक की हिन्‍दूद्वेषी सरकार ने इस मंदिर का रूपांतरण कन्‍या विद्यालय में कर दिया । हिन्‍दुआें के कठोर विरोध के पश्‍चात वर्ष २००६ में यह विद्यालय अन्‍यत्र स्‍थानांतरित कर मंदिर पूर्णतः खाली कर दिया गया ।

६. पाक सरकार ने वर्ष २००८ में इस राममंदिर को ‘धरोहर स्‍थल’ घोषित कर मंदिर के पुननिर्माण का कार्य प्रारंभ किया । विशेष यह कि इस मंदिर का पुनर्निमाण करते समय मंदिर की मूर्तियां हटा दी गईं । वर्तमान में मंदिर में एक भी मूर्ति नहीं है । तब से यह गांव सैदपुर के नाम से पहचाना जाने लगा ।
७. तत्‍पश्‍चात यहां अनेक मांसाहरी होटल तथा हस्‍तशिल्‍प की दुकानें खोली गईं है ।
८. इस मंदिर के परिसर में एक धर्मशाला बनाई गई है तथा अब उसका उपयोग सार्वजनिक शौचालय के रूप में किया जाता है ।

३ सहस्र हिन्‍दुआें के लिए एक भी मंदिर नहीं ! – सवाई लाल, हिन्‍दू कार्यकर्ता

     पाक के हिन्‍दू कार्यकर्ता श्री. सवाई लाल बोले, ‘‘इस्‍लामाबाद में ३ सहस्र हिन्‍दू रहते हैं; परंतु हिन्‍दुआें के लिए एक भी मंदिर नहीं है । (हिन्‍दूबहुल भारत में हाथ की उंगलियों पर गिनने योग्‍य अल्‍पसंख्‍यकों के लिए बडे बडे प्रार्थनास्‍थल हैं तथा उन पर कर्णकर्कश आवाज में अवैध भोंपू भी लगे होते हैं ! – संपादक) सरकार ने राममंदिर के परिसर में होटल और दुकानें प्रारंभ कर इस मंदिर की पवित्रता भंग की है ।’’

१,२८८ हिन्‍दू मंदिरों में से केवल ३१ मंदिरों में हिन्‍दुआें को दर्शन करने की अनुमति ! – पाकिस्‍तान हिन्‍दू काउंसिल

     ‘पाकिस्‍तान हिन्‍दू काउंसिल’ के मुख्‍य संरक्षक रमेश कुमार वांकवानी बोले, ‘‘वर्तमान में यहां १,२८८ मंदिर पंजीकृत हैं; परंतु उनमें से केवल ३१ मंदिरों में हिन्‍दुआें को दर्शन करने की अनुमति दी गई है । सरकार को हमें इस प्राचीन राममंदिर का जीर्णोद्धार करने की अनुमति देनी चाहिए ।’’ विभाजन के उपरांत पाकिस्‍तान छोडकर भारत आए हिन्‍दुआें की संपत्ति की देखभाल का दायित्‍व ‘पाकिस्‍तान हिन्‍दू काउंसिल’ के पास है ।