आगामी आपातकाल में जीवित रहने के लिए पहले से की जानेवाली व्यवस्था

संकलनकर्ता : परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले

लेखांक १

१. वर्तमान ‘कोरोना’ विषाणुरूपी आपदा भावी महाभीषण आपातकाल की छोटी-सी झलक !

     फरवरी २०२० से ‘कोरोना’ विषाणु ने पूरे विश्‍व में हाहाकार मचा दिया है । ‘कोरोना’ विषाणु के इस संक्रमण से १३ जून २०२० तक पूरे विश्‍व में अब तक ४ लाख २८ सहस्र ७४० लोगों की मृत्यु हुई है तथा ७७ लाख ६४ सहस्र ६२१ रोगी हैं । इस ‘कोरोना’ संकटकाल में भी अन्न, पानी, बिजली आदि जीवनावश्यक वस्तुओं की आपूर्ति जारी है ! लोगों के हाथ में मोबाइल, इंटरनेट, टीवी आदि सुख-सुविधा के साधन कार्यरत हैं । केवल संचारबंदी है, जिसके कारण उद्योग-धंधों पर बुरा प्रभाव पडना, देश में आर्थिक मंदी आना, नागरिकों का देश में और विदेश में आवागमन अवरुद्ध होना जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं । परंतु अधिकतर लोगों को घर में रहने के अतिरिक्त विशेष अडचन नहीं हो रही है । फिर भी, ‘कोरोना’ संकट से ऊबकर आत्महत्या करना, मद्य न मिलने से अनेक मद्यपियों का मार्ग पर आकर सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करना, अनेक लोगों का कोरोना से रक्षा के लिए बनाए गए शासकीय नियमों का पालन न करना आदि घटनाएं भी दिखाई दे रही हैं । जनता को धार्मिक शिक्षा न मिलने से तथा साधना न सिखाने से उसकी स्थिति कितनी दयनीय हो गई है, यह इन घटनाओं से दिखाई पड रहा है ।

२. भावी महाभीषण आपातकाल के स्वरूप का संक्षिप्त वर्णन

     विश्‍वयुद्ध, भूकंप, विकराल बाढ आदि के रूप में महाभीषण आपातकाल तो अभी आना शेष है । यह महाभीषण आपातकाल निश्‍चित आएगा, यह बात अनेक नाडीभविष्यकारों और द्रष्टा साधु-संतों ने बहुत पहले ही बता दी है । उन संकटों की आहट अब सुनाई देने लगी है । ‘कोरोना’ विषाणुरूपी संकट चीन के कारण उत्पन्न हुआ है, यह कहते हुए अमेरिका सहित कुछ यूरोपीय देशों ने चीन के विरुद्ध ताल ठोंकना आरंभ कर दिया है । तात्पर्य यह कि विश्‍वयुद्ध अब निकट आता दिखाई दे रहा है । यह भीषण आपातकाल कुछ दिनों का अथवा महीनों का नहीं, अपितु वर्ष २०२० से २०२३ तक तीन वर्षों का होगा । अर्थात, यह काल भारत में ‘हिन्दू राष्ट्र’ (ईश्‍वरीय राज्य के समान आदर्श राज्य) की स्थापना होने तक रहेगा । किसी भी आपातकाल में बिजली की आपूर्ति ठप हो जाती है । पेट्रोल, डीजल आदि की आपूर्ति घट जाती है । इससे यातायात ठप हो जाता है । यातायात ठप होने से शासन सब स्थानों पर सहायता नहीं पहुंचा पाता । शासन के अन्य कार्यों में भी बहुत बाधाएं आती हैं । रसोई-गैस, खाने-पीने की वस्तुएं आदि अनेक महीने नहीं मिलती या राशन की दुकानों पर मिलती हैं । डॉक्टर, वैद्य, औषधियां, चिकित्सालय आदि सहजता से नहीं मिलते । ये सब बातें ध्यान में रखकर आगामी आपातकाल का सामना करने के लिए सबको शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, आध्यात्मिक आदि स्तरों पर पहले से तैयारी करनी आवश्यक है ।

३. शारीरिक स्तर पर तैयारी

     ‘अन्न’, जीवित रहने की एक मूलभूत आवश्यकता है । आपातकाल में हमेें भूखा न रहना पडे, इसके लिए पहले से पर्याप्त मात्रा में अन्न खरीदकर रखना आवश्यक है । हमारी वर्तमान पीढी को विविध प्रकार के अन्न संचय करने और उन्हें दीर्घकाल तक उत्तम स्थिति में रखनेवाली पद्धतियों की जानकारी नहीं होती । इसलिए हमने कुछ अन्नसुरक्षा पद्धतियों के विषय में इस लेखमाला में बताया है । अन्नसंग्रह कितना भी करें, वह धीरे-धीरे समाप्त होता ही रहता है । ऐसे समय में अन्न के लिए तरसना न पडे, इस हेतु पूर्वतैयारी के रूप में अन्न की बोआई करना आवश्यक है । धान, गेहूं, मोटे अनाज सब लोग बोने में सक्षम नहीं होते । ऐसे लोग कंद-मूल, अल्प पानी में अधिक उपज देनेवाली तथा बारहों महीने उत्पन्न होनेवाली सब्जियां और बहु उपयोगी फलदार वृक्ष घर के परिसर में तथा सदनिका (फ्लैट) की बालकनी में लगा सकते हैं । इस विषय में उपयोगी जानकारी लेखमाला में दी गई है ।

     आपातकाल में भोजन पकाने के लिए ‘गैस’ आदि साधन उपलब्ध न होने पर चूल्हा, ‘सौर कुकर’ आदि का उपयोग करनेके विषय में बताया गया है । आपातकाल में नित्य की भांति सब प्रकार का भोजन नहीं बनाया जा सकता । इस दृष्टि से कौन-कौन से टिकाऊ खाद्यपदार्थों का संग्रह करना चाहिए और उन्हें अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए क्या करना चाहिए, इस विषय में उपयोगी सूचना बताई गई है । परिवार को लगनेवाले नित्य उपयोग की तथा कभी-कभी लगनेवाली वस्तुओं की सूची भी दी गई है । इससे, पाठकों को सब प्रकार की वस्तुएं खरीदने में सुविधा होगी । मनुष्य पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता तथा बिजली के बिना जीवनयापन की कल्पना नहीं कर सकता । अतएव, पेयजल की व्यवस्था करना, जलभंडारण, जलशुद्धीकरण की पद्धतियां तथा बिजली के विकल्प के विषय में भी इस लेखमाला में बताया गया है ।

     लेखमाला में एक विषय से संबंधित अनेक प्रकार की व्यवस्थाएं बताई गई हैं । प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकता, स्थान की उपलब्धता, आर्थिक स्थिति, स्थानीय जलवायु, भौगोलिक स्थिति आदि का विचार कर, अपने लिए सुविधाजनक व्यवस्था बना सकता है । जहां प्रत्यक्ष व्यवस्था बनाने के विषय में विस्तार से बताना संभव नहीं है, वहां केवल निर्देश किया गया है; उदा. ‘आपातकाल में पानी की उपलब्धता अल्प न हो, इसके लिए कुआं खोदें’, यह कहा गया है; परंतु इसके लिए ‘प्रत्यक्ष क्या करना चाहिए’, यह नहीं बताया गया है । ऐसे कार्यों के विषय में पाठक उस विषय के जानकार लोगों से बात करें अथवा उससे संबंधित पुस्तक का अध्ययन करें ।

४. मानसिक तैयारी

     आपातकाल में अनेक लोगों को घबडाना, चिंता होना, निराश होना, भय लगना आदि कष्ट होते हैं । प्रतिकूल परिस्थिति का धैर्य से सामना करने के लिए मन को पहले से दृढ करना पडता है तथा इसके लिए उसे ‘स्वसूचना’ देनी पडती है । इस विषय में भी इस लेखमाला में बताया गया है ।

५. आध्यात्मिक तैयारी

     आपातकाल में रक्षा होने के लिए व्यक्ति अपने बल पर कितनी भी तैयारी कर ले, पर्याप्त नहीं होती । अंततः, ईश्‍वर पर भरोसा करना ही पडता है । व्यक्ति जब साधना कर देवता की कृपा प्राप्त कर लेता है, तब देवता उसकी प्रत्येक संकट में रक्षा करते हैं । साधना करने का महत्त्व समझने के लिए भी यह लेखमाला उपयोगी है ।

६. साधको, अपने को सब प्रकार से शीघ्र तैयार करो !

     पाठकगण यदि इस लेखमाला के अनुसार अभी से कार्य आरंभ कर देंगे, तो भावी आपातकाल को झेलना सरल हो सकेगा । पाठकगण यह विषय अपने तक सीमित न रखकर, समाजबंधुओं को भी बताएं । लेखमाला के कुछ बिंदुओं पर लेखन अभी भी जारी है । पाठकगण अपनी आपातकालीन तैयारी में शीघ्र लग जाएं, इसके लिए यह लेखमाला आरंभ कर रहे हैं । इसका शेष भाग भी जैसे-जैसे प्राप्त होगा, वैसे-वैसे प्रकाशित करते रहेंगे । इस विषय की ग्रंथमाला भी शीघ्र प्रकाशित करनेवाले हैं ।

७. प्रार्थना

‘आपातकाल में केवल सुरक्षित रहने के लिए नहीं, अपितु जीवन में साधना का दृष्टिकोण अपनाकर आनंदमय रहने के लिए भी इस लेखमाला का उपयोग हो’, यह श्री गुरु से प्रार्थना !

१ अ. अन्न के बिना भूखे न रहना पडे, इस हेतु ये करें !

१ अ १. रसोई ‘गैस’, ‘स्टोव’ हेतु आवश्यक केरोसीन इत्यादि की संभावित तंगी अथवा अनुपलब्धता को ध्यान में रख, आगे दिए आवश्यक उपाय करें ।

१ अ १ अ. घर में चूल्हे की व्यवस्था करें

लोहे का चूल्हा

१. घर में चूल्हा न हो, तो हाट (बाजार) से मिट्टी, सीमेंट अथवा ‘बीड’ नामक धातु से बना चूल्हा खरीदकर रखें । कुछ उत्पादक पारंपरिक चूल्हे की तुलना में अल्प इंधन से चलनेवाले, अल्प धुआं करनेवाले, परिवहन में सुलभ, इन अनेक सुविधाओं से युक्त लोहे के चूल्हे बनाते हैं, उदा. भोपाल, मध्य प्रदेश स्थित ‘दत्तू चूल्हा’ (भ्र.क्र. 9425009113) । कुछ उत्पादकों द्वारा बनाए चूल्हे में धुआं बाहर निकलने हेतु ‘चिमनी’ की सुविधा होती है । इन आधुनिक चूल्हों का अध्ययन कर अपनी आवश्यकता के अनुसार चूल्हा खरीद सकते हैं । (ऐन समय पर तीन पत्थरों की विशिष्ट पद्धति से रचना कर चूल्हा बना पाना भी आवश्यक है ।)

२. चूल्हा जलाना, प्रतिदिन उसकी स्वच्छता करना इत्यादि बातें भी सीख लें ।

चिमनी युक्त चूल्हा

३. चूल्हे के इंधन के रूप में लकडियां, कोयले, उपले, ‘बायोमास ब्रिकेट’ (गन्ने के चिपडे (रसहीन भाग), लकडी का भूसा, मूंगफली के छिलके, सूरजमुखी के फूल तोडने के उपरांत बचा भाग आदि पर विशिष्ट दबाव से प्रक्रिया कर, उनको एक बनाकर किए छोटे-छोटे टुकडे) इत्यादि का पर्याप्त संग्रह करके रखें । ‘बायोमास ब्रिकेट’ बडे शहरों की दुकानों में तथा ‘ऑनलाइन’ भी खरीदे जा सकते हैं ।

४. चूल्हे पर भोजन पकाना सीखें । इस समय ‘प्रेशर कुकर’ का उपयोग न कर, पतीला अथवा अन्य बरतनों में दाल-चावल पकाना, रोटियां तवे पर पलटकर उन्हें अंगारों पर सेंकना जैसे कृत्यों का समावेश हो । चूल्हे पर भोजन पकाना सीखते समय ‘प्लेटफॉर्म पर खाना पकाने की आदत’ भी घटाने का प्रयास करें ।

१ अ १ आ. रसोई में सहायक सौर ऊर्जा पर चलनेवाले उपकरण खरीदें

सौर कुकर

१. जिनके पास सौर ऊर्जा से (‘सोलर’ से) बिजली निर्माण करने की व्यवस्था नहीं है, वे ‘सोलर कुकर’ जैसे उपकरण खरीदकर रखें ।

२. जिनके पास सौर ऊर्जा से बिजली निर्माण करनेवाली व्यवस्था है, वे बिजली की सहायता से भोजन पकानेवाला ‘इंडक्शन चूल्हा’ और उस चूल्हे के लिए उपयुक्त रसोई के बरतन लेकर रखें । (बादलों की अधिकता हो, तो सौरऊर्जा सीमित हो जाती है ।)

१ अ १ इ. पर्याप्त मात्रा में गीला कचरा (सब्जियों के डंठल, जूठन, अन्य नष्ट होने योग्य जैविक पदार्थ इत्यादि) उपलब्ध होने पर ‘बायो-गैस संयंत्र’ बनाएं

     इस संयंत्र में गोबर का उपयोग भी किया जा सकता है । साथ ही इस संयंत्र से शौचालय को जोड सकते हैं । कुछ राज्यों में शासन ‘बायो-गैस संयंत्र’ बनाने का संपूर्ण खर्चा उठाता है, जबकि कुछ राज्यों में शासन इन संयंत्रों को बनाने हेतु कुछ मात्रा में अनुदान देता है ।

१ अ १ ई. गाय, बैल इत्यादि प्राणी पालनेवाले ‘गोबर-गैस संयंत्र’ बनाएं

बायो-गॅस संयंत्र

     इस संयंत्र से शौचालय को जोड सकते हैं । यह संयंत्र बनाने हेतु किसानों को राज्य शासन से विशिष्ट नियमों के अंतर्गत अनुदान मिल सकता है ।

१ अ २. रसोई में यंत्रों का (उदा. ‘मिक्सर’ का) उपयोग टालकर, पारंपरिक वस्तुओं का उपयोग करने की आदत अभी से बनाएं

अ. यांत्रिक मथनी से छाछ बनाने जैसी कृतियां घटाकर सामान्य मथनी से छाछ मथें ।

आ. ‘मिक्सर’ के स्थान पर चटनी पीसने हेतु सिलबट्टे का और मूंगफली का चूर्ण बनाने हेतु खलबट्टे का उपयोग करें ।

इ. अन्य पारंपरिक वस्तुओं (उदा. पिसाई हेतु चक्की, कूटने हेतु ओखली और मूसल) का उपयोग करने की भी आदत बनाएं ।

(क्रमशः)

इस लेखमाला के पहले भाग पढने हेतु निम्नलिखित लींक देखें

आगामी आपातकाल में जीवित रहने के लिए पहले से की जानेवाली व्यवस्था

(संदर्भ : सनातन की आगामी ग्रंथमाला ‘आपातकाल में प्राणरक्षा’ हेतु आवश्यक पूर्वतैयारी)

(प्रस्तुत लेखमाला के सर्वाधिकार (कॉपीराइट) सनातन भारतीय संस्कृति संस्था के पास संरक्षित हैं ।)