पैंगोंग झील क्षेत्र में परिस्थिति ‘पहले जैसे ही’ : दोनों देशों के सैनिक अभी भी आमने-सामने

चीन सीमा पर छेडछाड कर विवाद उत्पन्न करे और तत्पश्‍चात हम उससे चर्चा करते बैठें, यह तो देश के लिए ठीक नहीं है ! यह मनुष्यबल, पैसा और समय का अपव्यय है ! चीन भारतीय भूभाग की ओर वक्रदृष्टि से देखने का साहस नहीं कर पाए, भारत को ऐसी साख बनाना आवश्यक !

लेह (लद्दाख) – पूर्व लद्दाख में सीमा रेखा के निकट चीन ने ‘गालवान वैली’, ‘पीपी-१५’ और ‘हॉट स्प्रिंग्स’ तथा ‘पैंगोंग झील’ इन ४ क्षेत्रों में सेना खडी कर तनाव उत्पन्न किया है । भारत ने भी उसे करारा प्रत्युत्तर देते हुए अपनी सेना तैनात की है । इन ४ में ३ स्थानों से दोनों देशों ने अपनी-अपनी सेना की टुकडियां कुछ दूरी तक पीछे हटाई हैं । पैंगोंग झील के उत्तर क्षेत्र में परिस्थितियां ‘पहले जैसे ही’ हैं तथा दोनों देशों के सैनिक अभी भी आमने सामने खडे हैं । पैंगोंग झील का यही क्षेत्र संघर्ष का मुख्य केंद्रबिंदु है । इस विवाद को सुलझाने के लिए ६ जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर पहली बैठक हुई थी ।