साधक और पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमियों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना
१. इयरफोन के अधिक उपयोग से होनेवाली हानि
वर्तमान में अनेक लोग घंटों तक कानों में इयरफोन लगाकर कुछ न कुछ सुनते रहते हैं । कानों में निरंतर इयरफोन लगाकर सुनने से कान की कोशिकाओं पर ध्वनि तरंगें निकट से टकराती हैं । इस कारण श्रवणक्षमता शीघ्र न्यून होती है ।, ऐसा चिकित्सकीय अध्ययन के दौरान ध्यान में आया है ।
२. इयरफोन के प्रकार
२ अ. कानों को अधिक हानि पहुंचानेवाले इन इयर प्रकार के इयरफोन ! : इन इयर ये इयरफोन कानों में गहराई तक जाते हैं । इसलिए वे अनेक घंटे लगाने से कान के भीतर खुली हवा नहीं लगती । परिणामस्वरूप कानों में खुजली होना, कीटाणुओं का संक्रमण होना, कान के पडदों पर चोट लगना आदि कष्ट हो सकते हैं । इन इयरफोन का उपयोग एक बार २० मिनट से अधिक नहीं करना चाहिए तथा उसके पश्चात अधिक समय के उपरांत उनका उपयोग करना चाहिए ।
२ आ. इयर मफ हेडफोन : इयर मफ वाले हेडफोन कानों के बाहर होते हैं । इस हेडफोन का संपर्क सीधे कानों से नहीं होता इसलिए तुलना में ये अच्छे होते हैं; परंतु उनका उपयोग भी निरंतर २ घंटे से अधिक नहीं करना चाहिए ।
३. इयरफोन के स्थान पर स्पीकर अथवा चल-दूरभाष से आवाज सुनना, अधिक योग्य !
जिन्हें अधिक समय तक इयरफोन का उपयोग करना पडता है, उनके लिए हेडफोन का उपयोग करना उचित होगा । इसलिए उन्हें तुलना में अल्प कष्ट होगा ।
इयरफोन अथवा हेडफोन का उपयोग न करते हुए ध्वनिवर्धक (स्पीकर), चल-दूरभाष अथवा भ्रमणसंगणक (लैपटॉप) से सीधे आवाज सुनना सर्वाधिक उचित विकल्प है । ऐसा करते समय एक ध्यान अवश्य रखें कि आस पास के व्यक्ति को इससे अडचन न आए ।
४. कीटाणुओं का संक्रमण रोकने हेतु दूसरों द्वारा उपयोग किए हुए इयरफोन अथवा हेडफोन का उपयोग न करें !