१. हिन्दू-राष्ट्र की स्थापना हेतु पूरक समष्टि नामजप तथा उन्हें करने से मिलनेवाले लाभ
अ. जिन साधकों का व्यष्टि साधना के अंतर्गत कुलदेवी/कुलदेवता तथा दत्त का नामजप, साथ ही अनिष्ट शक्तियों का कष्ट दूर करनेवाला जाप न्यूनतम ५ वर्ष से अच्छी तरह होता हो, तो अब वे हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु पूरक समष्टि जाप करें । पहले के जाप करने की अब आवश्यकता नहीं है ।
आ. जिनकी समष्टि सेवा योग्य प्रकार से हो रही है, वे भी अब निम्नांकित समष्टि नामजप करें । उन्हें पहले के जाप अब करने की आवश्यकता नहीं है ।
१ अ. प्रत्येक नामजप के कारण मिलनेवाले लाभ
१. श्री विष्णवे नमः
इसके कारण हिन्दू राष्ट्र की शीघ्र स्थापना होगी और राष्ट्र को स्थिरता मिलेगी ।
२. श्री सिद्धिविनायकाय नमः
इनके आशीर्वाद के कारण हिन्दू राष्ट्र स्थापना को बल और उचित दिशा मिलेगी ।
३. श्री भवानीदेव्यै नमः
देवी के आशीर्वाद के कारण हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु बल मिलेगा ।
दिन में हम नामजप के लिए जितना समय देनेवाले हैं, उसके १/३ समय प्रत्येक नामजप के लिए दें, ३ घंटे देते हों, तो उक्त प्रत्येक नामजप १-१ घंटा करें ।
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
१ आ. उक्त लेखन पढते समय सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी को प्राप्त अनुभूति : यह धारिका पढते समय मेरे शरीर में दैवीय ऊर्जा का तीव्रगति से संचार हुआ, ऐसा मुझे लगा । सहस्रारचक्र पर बहुत ऊर्जा प्रतीत हुई, साथ ही मुझे सूक्ष्म से आगे स्थापित होने जा रहे हिन्दू राष्ट्र का शंखनाद सुनाई दिया ।
– (सद़्गुरु) श्रीमती बिंदा सिंगबाळ (२०.५.२०२०)
२. समष्टि हेतु नामजप करनेवालों को तथा समष्टि स्तर के कष्ट दूर होने हेतु साधकों के लिए आवश्यक नामजप आदि उपचार
२ अ. जप : आजकल संकटकाल की तीव्रता बढ रही है । कालमहिमा के अनुसार सामान्यतः आजकल साधकों को हो रहे कष्टों में से ७० प्रतिशत कष्ट समष्टि स्तर के, तो ३० प्रतिशत कष्ट व्यष्टि स्तर के हैं ।
२ अ १. उपाय के रूप में बैठकर नामजप करनेवाले साधक : साधक जितना समय नामजप करनेवाले हों, उसका ७० प्रतिशत समय व्यष्टि उपचारों के लिए प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति के अनुसार ढूंढकर प्राप्त नामजप, बताया गया अन्य कोई जप अथवा मंत्रजप हो, तो वह करें, तो ३० प्रतिशत समय समष्टि हेतु श्री विष्णवे नमः, श्री सिद्धिविनायकाय नमः एवं श्री भवानीदेव्यै नमः नामजप करें ।
ढूंढे हुए उपचारों से २ – ३ सप्ताह में कोई लाभ नहीं हो अथवा तीव्र कष्ट होने के कारण उपचार ढूंढना संभव न हो, तो ६० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर के साधक अथवा संतों से पूछें ।
२ अ १ अ. चक्रस्थान पर देवता का चित्र अथवा नामजप-पट्टी लगाने के संदर्भ में : साधक प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति के अनुसार ढूंढकर प्राप्त उस देवता का चित्र उपचारों में प्राप्त शरीर के चक्रस्थान पर लगा सकते हैं । तेजतत्त्व से संबंधित अग्निदेव अथवा सूर्यदेव का जप आने पर दुर्गादेवी का चित्र लगाएं । वायुतत्त्व से संबंधित हनुमान अथवा वायुदेव का जप आने पर हनुमानजी का चित्र लगाएं और आकाशतत्त्व से संबंधित आकाशदेवता का जप आने पर शिवजी का चित्र लगाएं । देवता के चित्र के स्थान पर उस देवता की नामजप-पट्टी भी लगा सकते हैं ।
देवता का चित्र अथवा नामजप-पट्टी का शरीर से स्पर्श कर लगाते समय देवता के चित्रवाला अथवा नामजप-पट्टी के अक्षरवाला भाग शरीर की ओर रखें अथवा बाहर की दिशा में रखें । प्राणशक्ति प्रणालीमें अवरोधोंके कारण उत्पन्न विकारोंके उपचार ग्रंथ के पृष्ठ ३२ में १ ई ६ में शरीर के किसी स्थान पर उंगलियां घुमाकर उपचार अथवा न्यास करना संभव न हो, तो वहां जिस देवता का नामजप करना होता है, उस देवता का चित्र सगुण अथवा निर्गुण रखें, इसमें दिया गया है । शून्य, महाशून्य, निर्गुण और ॐ के जप आने पर, संबंधित नामजप-पट्टियों पर अक्षरवाला भाग शरीर की बाहरी दिशा में रखें ।
आजकल सर्वत्र यातायात बंदी होने से साधकों के पास सभी देवताओं के चित्र उपलब्ध नहीं हैं । साधकों के पास पुराने (पहले छापे गए); परंतु संबंधित देवता के चित्र अथवा नामजप-पट्टियां अच्छी स्थिति में हों, तो उनका उपयोग करें । यह संभव न हो; तो हमारे निकट, आश्रम अथवा घर में ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त अथवा भाव से युक्त; परंतु आध्यात्मिक कष्ट विरहित साधक के हाथों कागज पर संबंधित देवता का नामजप लिखकर लें । ये तीनों विकल्प भी संभव न हों, तो साधक भावपूर्ण प्रार्थना कर स्वयं ही कागज पर वह नामजप लिखें ।
२ अ २. उपचार के रूप में बैठकर जप न करनेवाले साधक : ऐसे साधक दिन के पूरे समय में श्री विष्णवे नमः, श्री सिद्धिविनायकाय नमः एवं श्री भवानीदेव्यै नमः नामजप करें । इन साधकों को शरीर के चक्रस्थानों पर चित्र लगाने की आवश्यकता नहीं है । उन्हें कोई कष्ट होता है, तो वे अपने कष्ट की तीव्रता के अनुसार (टिप्पणी) उतनी अवधि के लिए उपचारों के लिए बताया गया जप बैठकर करें और शेष समय में प्रत्येक जप १/३ समय तक करें – श्री विष्णवे नमः, श्री सिद्धिविनायकाय नमः एवं श्री भवानीदेव्यै नमः । ये साधक आते-जाते अधिकाधिक समय उक्त नामजप करें ।
टिप्पणी – मंद कष्ट हो तो १ से २ घंटे, मध्यम कष्ट हो तो ३ से ४ घंटे और तीव्र कष्ट हो तो ५ से ६ घंटे उपचार करें ।
२ अ ३. समष्टि हेतु नामजप करनेवाले संत और साधक : कुछ संत समष्टि हेतु कुछ घंटे नामजप करते हैं, साथ ही ६० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कुछ साधक हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाएं, आंदोलन इत्यादि में उत्पन्न अनिष्ट शक्तियों की बाधाएं दूर होने हेतु नामजप करते हैं । वे उतने समय में प्रत्येक जप १/३ समय तक श्री विष्णवे नमः श्री सिद्धिविनायकाय नमः तथा श्री भवानीदेव्यै नमः करें ।
२ अ ४. सामूहिक सूचनाएं
१. इससे पूर्व १.४.२०२० से ३०.६.२०२० की अवधि में सूचना दी गई थी कि साधक निर्गुण नामजप करें तथा सहस्रार एवं विशुद्ध चक्रों पर निर्गुण नामजप की पट्टियां लगाएं । परंतु अब साधक निगुर्र्ण नामजप न करें, साथ ही उसकी पट्टियां भी न लगाएं ।
२. सवेरे अथवा रात के ९.३० से १० की अवधि में साधक ध्यान करते हैं । यह समय दिनभर के कुल नामजप के समय में पकडें । हम दिन में जितना समय नामजप के लिए देनेवाले हैं, उसका १/३ समय श्री विष्णवे नमः श्री सिद्धिविनायकाय नमः एवं श्री भवानीदेव्यै नमः नामजप में से प्रत्येक नामजप के लिए दें, उदा. यदि हम ३ घंटे देनेवाले हैं, तो उक्त प्रत्येक नामजप १ घंटा करें ।
३. कोरोना विषाणु के विरुद्ध हम में प्रतिरोधक क्षमता बढने हेतु आध्यात्मिक बल मिले, इसके लिए बताया नामजप (श्री दुर्गादेव्यै नमः (३ बार) – श्री गुरुदेव दत्त – श्री दुर्गादेव्यै नमः (३ बार) – ॐ नमः शिवाय) प्रतिदिन एक ही स्थान पर बैठकर १०८ बार करें । अगली सूचना मिलने तक हमें यह नामजप करना है ।
२ आ. मुद्रा : श्री विष्णवे नमः, श्री सिद्धिविनायकाय नमः एवं श्री भवानीदेव्यै नमः नामजप आते-जाते अथवा बैठकर करते समय दोनों हाथों से तर्जनी के अग्र को अंगूठे का अग्र लगाकर मुद्रा करें ।
– (पू.) डॉ. मुकुल गाडगीळ (२५.५.२०२०)