सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘कुछ अन्य पंथों के समान हिन्दू धर्म में धर्मप्रसार कर केवल अपने धर्म के लोगों की अथवा अपने अनुयायियों की संख्या बढाना महत्वपूर्ण नहीं है । इसके विपरीत हिन्दू धर्म में धर्म की गहनता में, सूक्ष्मता में जाना महत्वपूर्ण है। इसका अर्थ है, ‘हिन्दू धर्म में हिन्दू धर्म के शाश्वत मूल्य तथा सिद्धांत समझकर, उसके अनुसार आचरण कर, धर्म की अनुभूति लेना अर्थात साक्षात ईश्वर की अनुभूति लेना महत्वपूर्ण है ।’ हिन्दुओं का धर्मप्रसार इसी सिद्धांत पर आधारित है । इसी कारण हिन्दू धर्म से अनभिज्ञ सहस्रों अन्य पंथ के विदेशी लोग आज भी हिन्दू धर्म की ओर आकर्षित होकर, हिन्दू धर्म के अनुसार आचरण कर रहे हैं ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक