सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘आजकल पाठशाला में गणित, भूगोल, अर्थशास्त्र इत्यादि अनेक विषय पढाए जाते हैं । इनमें से अधिकांश विषयों का जीवन में एक प्रतिशत भी लाभ नहीं होता। यदि ऐसा है, तो विद्यार्थियों को व्यवहारज्ञान हेतु आवश्यक शिक्षा देकर, उनके शेष समय का उपयोग उपरोक्त विषय सिखाने की अपेक्षा समाजप्रेम, राष्ट्रप्रेम, धर्मप्रेम, अध्यात्मशास्त्र, साधना जैसे विषय सिखाने हेतु क्यों नहीं किया जाता ? हिन्दू राष्ट्र में ये सभी विषय पढाए जाएंगे ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक