ऑस्ट्रेलिया के बाँड विश्वविद्यालय के अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष
कैनबरा (ऑस्ट्रेलिया) – ऑस्ट्रेलिया के बाँड युनिवर्सिटी (Bond University) में त्वचा से संबंधित मुख्य वैज्ञानिक डॉ. माइकल फ्रीमन ने एक अध्ययन कर यह दावा किया है कि सचल दूरभाष से निकलनेवाला नीला प्रकाश (Blue Light) इतना खतरनाक होता है कि उसमें त्वचा का रंग फीका करने की क्षमता होती है तथा इसके कारण त्वचा को बडी हानि पहुंचती है ।
अध्ययन में यह ध्यान में आया कि,
१. नीला प्रकाश आंखों को दिखाई देनेवाले प्रकाश का अंग होता है । सूर्यप्रकाश उसका सबसे मजबूत स्रोत है । उसमें लाल-पीले प्रकाश से भी अधिक ऊर्जा होती है । सचल दूरभाष, लैपटॉप तथा टीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी नीला प्रकाश उत्सर्जित करते हैं, तथापि वह १०० से १ सहस्र गुना नीचले स्तर पर होता है । हम इन उपकरणों के उपयोग में बहुत समय गंवाते हैं, उसके कारण इस प्रकाश का परिणाम हमारा स्वास्थ्य, आंखें तथा नींद पर भी होता है ।
२. नीले प्रकाश के उत्सर्जन के कारण त्वचा में मैलेनिन का उत्पादन बढ सकता है, जो प्राकृतिक रंगद्रव्य है तथा त्वचा को रंग देता है । उसके कारण अधिक स्तर के नीले प्रकाश के कारण त्वचा का रंग और गहरा होने का संकट बढता है । मैलेनिन का अधिक बनना त्वचा पर गहरे दाग उत्पन्न कर सकता है । विशेषरूप से गहरी त्वचावाले लोगों में ऐसे दाग उत्पन्न हो सकते हैं ।