हिन्दुओं का साधना करना अपरिहार्य !

‘वर्तमान काल में हिन्दुओं की दयनीय स्थिति का कारण उनका समष्टि प्रारब्ध है । इस प्रारब्ध पर विजय प्राप्त करने का एकमात्र उपाय है , सभी हिन्दुओं का साधना करना !’

काल के प्रवाह में नष्ट होनेवाला विज्ञान और काल की सीमा में न बंधनेवाला अध्यात्म !

‘शोधकार्य का मन एवं बुद्धि के स्तर का होने के कारण, उसे काल का बंधन होता है । कुछ काल के उपरांत उस शोध में परिवर्तन होता है अथवा नष्ट हो जाता है । इसके विपरीत अध्यात्म के पंचमहाभूत, त्रिगुण जैसे सिद्धांतों में कोई परिवर्तन नहीं होता । उन्हें काल का बंधन नहीं है ।’

माता-पिता को वृद्धाश्रम में रखना अत्यंत लज्जाजनक !

‘भारतीय संस्कृति में वृद्ध आश्रम कभी नहीं थे। यह पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण है । यह माता-पिता के प्रति कृतज्ञता के स्थान पर द्वेष दर्शाता है । आगे कुछ मृत माता-पिता पूर्वज बनकर परिजनों को कष्ट दें, तो इसमें आश्चर्य नहीं होगा !’

जब तक देह में प्राण हैं, तब तक मठ-मंदिरों तथा सनातन धर्मरक्षा का व्रत लो ! – महंत सुधीरदासजी महाराज, कालाराम मंदिर, नासिक

राज्‍य स्‍तरीय महाराष्ट्र मंदिर-न्‍यास परिषद ओझर (पुणे) में प्रारम्‍भ !  
मंदिरों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए राज्‍य भर से ५५० से अधिक श्रद्धालु एकत्रित !

श्रीकृष्ण के प्रति आस्था एवं भक्ति भाव में वृद्धि करनेवाला एक विद्वतापूर्ण ग्रंथ: ‘योगेश्वर श्रीकृष्ण’ ! – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

सनातन संस्था के प्रचारक सद्गुरु स्वाती खाड्येजी के करकमलों से वरिष्ठ लेखक एवं व्याख्याता श्री. दुर्गेश पारुलकर लिखित ग्रंथ ‘योगेश्वर श्रीकृष्ण’ का लोकार्पण हुआ ।

भ्रष्टाचार का निर्मूलन करने हेतु गुप्तचर विभाग का उपयोग करें !

‘सरकार के पास गुप्तचर विभाग होते हुए भी सरकार अपने ही भ्रष्ट, देशद्रोही सहस्रों कर्मचारियों को दंड क्यों नहीं दे पा रही है ?’

परिवार के भ्रष्टाचारियों का विरोध करना साधना ही है !

‘मेरा पति भ्रष्टाचारी है’, यह ज्ञात होने पर उसकी धर्मपत्नी और निकट के परिजन उसे पाप से बचाने के लिए उसे समझाना, उसके पापमय धन को स्वीकार नहीं करना इत्यादि प्रयास करें । इससे भी उसमें परिवर्तन ना हो, तो उसके विरोध में शिकायत करें । जिससे पाप में सम्मिलित होने का पाप उन्हें नहीं लगेगा ।’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘अपने विभाग में हो रहा भ्रष्टाचार उजागर न करनेवाले पुलिसकर्मी क्या समाज में हो रहा भ्रष्टाचार उजागर कर पाएंगे ?’