हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की आज २३ वीं वर्षगांठ के निमित्त सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का संदेश

‘सनातन प्रभात’ के ज्ञानशक्ति का परिपूर्ण लाभ लें ! :    ‘सनातन प्रभात’ ने प्रारंभ से ही आदर्श राष्ट्ररचना के लिए अराजकीय विचार, राष्ट्र-धर्म हित के दृष्टिकोण और ज्वलंत हिन्दुत्व की भूमिका के माध्यम से वैचारिक क्रांति का संदेश दिया है । अनेकों ने ‘सनातन प्रभात’ के वैचारिक संदेश पर आचरण कर राष्ट्र-धर्म रक्षा का कार्य भी किया है ।

पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की राशि ‘मनीऑर्डर’ के माध्यम से भेजनेवाले पाठकों से अनुरोध !

पाठक कृपया ‘मनीऑर्डर’ सहित अपना पूरा नाम, पता, पिन कोड तथा संपर्क क्रमांक भी लिखकर भेजें, जिससे पाक्षिक सनातन प्रभात का अंक भेजने के संबंध में कुछ शंका हो, तो संपर्क किया जा सके ।

धनतेरस के निमित्त धर्मप्रसार के कार्य हेतु ‘सत्पात्र दान’ कर श्री लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें !

सत्कार्य हेतु धन अर्पण करना, यही श्री लक्ष्मी की खरी पूजा है । धर्मशास्त्र कहता है कि ‘मनुष्य स्वयं की संपत्ति का १/६ भाग प्रभु कार्य हेतु व्यय करें ।’

भैयादूज के निमित्त बहन को उपहार के रूप में चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन संस्था के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति गौरव बढानेवाले ‘सनातन प्रभात’ के पाठक बनाकर अनोखा उपहार दीजिए !

बहन के मन पर साधना का महत्त्व अंकित कर उसके जीवन में आमूलचाल परिवर्तन लानेवाले ‘सनातन प्रभात’ के पाठक बनाना और उसे उसमें समाहित अमूल्य जानकारी पढने के लिए प्रेरित करने की अपेक्षा और कौनसा श्रेष्ठ उपहार होगा ?

बार-बार चाय पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने से उसे छोडें !

‘दूध युक्त चाय पीने से पित्त बढता है । अल्पाहार के साथ हम चाय पीते हैं । अल्पाहार के पदार्थों में नमक होता है । नमक एवं दूध का संयोग रोगकारक है ।

खुलकर बात करना एक महान औषधि है !

‘पूर्वाग्रह, राग, भय के समान मूलभूत स्वभावदोषों के कारण अधिकांश लोगों के लिए खुलकर बात करना असहज रहता है ।

मूत्रमार्ग के जलन पर आयुर्वेद का प्राथमिक उपचार

‘चाय का पाव चम्मच सनातन उशीर (वाळा) चूर्ण आधी कटोरी पानी में घोल बनाकर दिन में ४ बार पीना । यदि ७ दिन में लाभ न हो, तो वैद्यों का समादेश (सलाह) लें ।’

पितृपक्ष में महालय श्राद्ध कर पितरों का आशीर्वाद प्राप्‍त करें !

पितृपक्ष में पितृलोक पृथ्‍वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को समर्पित अन्‍न, जल और पिंडदान उन तक शीघ्र पहुंचता है । उससे वे संतुष्‍ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं । श्राद्धविधि करने से पितृदोष के कारण साधना में आनेवाली बाधाएं दूर होकर साधना में सहायता मिलती है ।

खाद्यपदार्थाें के संदर्भ में विवेक जागृत रखें !

पोषणमूल्यहीन, चिपचिपे, तेल से भरे तथा ‘प्रिजर्वेटिव पदार्थाें का उपयोग किए गए तथा स्वास्थ बिगाडनेवाले पदार्थ खाने की अपेक्षा पौष्टिक, सात्त्विक तथा प्राकृतिक पदार्थ खाने चाहिए । चॉकलेट आदि पदार्थ कभी कभी खाना ठीक है; किंतु नियमित सेवन न करें ।’