सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘साधना न करनेवाले पशुओं की भांति हैं। पशुओं का शरीर होते हुए भी वे साधना नहीं करते। उसी प्रकार अधिकांश मानव शरीर होते हुए भी साधना नहीं करते !’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक