सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘सनातन प्रभात के ३० प्रतिशत लेख साधना से संबंधित होते हैं । इससे पाठकों का अध्यात्म से परिचय होता है तथा कुछ लोग साधना करना आरंभ कर जीवन सार्थक करते हैं । इसके विपरीत अधिकांश अन्य सभी नियतकालिकों में एक प्रतिशत लेख भी साधना संबंधी न होने के कारण, पाठकों को उनका वास्तविक अर्थ में लाभ नहीं होता ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक