काल भैरव के लिए रखी जाती है मुख्य कुर्सी तथा समीप रखी कुर्सी पर पुलिस अधिकारी बैठकर करते हैं काम !
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – ज्ञानवापी के न्यायालयीन प्रकरण के कारण सभी भारतीयों का वाराणसी इस प्राचीन नगरी पर ध्यान लगा है , जहां काशी विश्वनाथ के रूप में बाबा कालभैरव को ‘कोतवाल’ कहा जाता है । बाबा कालभैरव यहां के पुलिस थाने में कप्तान के पद पर कार्य देखते हैं, ऐसी लोगों की मान्यता है । उन्हें बैठने के लिए मुख्य कुर्सी साथ में टेबल और टोपी भी रखी गई है और थाने के प्रशासनिक पुलिस अधिकारी समीप की कुर्सियों पर बैठकर थाने का संचालन करते हैं । प्रतिदिन वे बाबा कालभैरव का आशीर्वाद लेकर ही काम को प्रारंभ करते हैं । यहां हिन्दुओं की ऐसी श्रद्धा है कि बाबा विश्वनाथ ने ही यहां बाबा कालभैरव की नियुक्ति की थी ।
वाराणसी में बाजीराव पेशवा ने वर्ष १७१५ में बाबा कालभैरव मंदिर का निर्माण किया था । यहां स्थित पुलिस थाने में जब भी कोई प्रशासनिक पुलिस अधिकारी नियुक्त होता है, तब उसे बाबा के दरबार में उपस्थित होना पडता है । इसके उपरांत ही वह थाने का काम हाथ में लेता है ।
संपादकीय भूमिकाहिन्दुओं के हृदय की अद्वितीय श्रद्धा ही हिन्दू धर्म की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का आधार है । यह उदाहरण भी उसी का प्रतीक है ! |