सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘जिसकी शिक्षा हेतु पूरे विश्व के लोग भारत में आते हैं, ऐसा एक ही विषय है और वह है, मानव का चिरंतन कल्याण करनेवाला अध्यात्मशास्त्र तथा साधना । यह हिन्दू धर्म की देन है । ऐसा होते हुए भी भारत के अभी तक के किसी भी शासनकर्ता को उसका महत्व समझ में नहीं आया। इसलिए उन्होंने अपनी, भारत की और हिन्दू धर्म की पराकोटि की हानि की है ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक