सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘अध्यात्मशास्त्र में १४ विद्या और ६४ कला, अर्थात संसार के सभी विषय समाहित हैं। इसके अंतर्गत आनेवाले ज्योतिषशास्त्र का विचार करने पर आगे दिए सूत्र समझ में आएंगे। आधुनिक विज्ञान विभिन्न ग्रहों की केवल पृथ्वी से दूरी और उनकी भौगोलिक स्थिति ही बताता है। इसके विपरीत ज्योतिषशास्त्र ग्रहों का मानव पर होनेवाला परिणाम, अनिष्ट परिणाम से बचने के उपाय इत्यादि सब बताता है ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक