सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘युद्ध एक तात्कालिक समाचार होता है। आगामी ५० – ६० वर्षों में ही युद्ध का इतिहास भुला दिया जाता है, उदा. प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्ध एवं उससे पूर्व के सभी युद्ध । इसके विपरीत अध्यात्म संबंधी वेद-उपनिषद इत्यादि ग्रंथ चिरकाल से बने हुए हैं ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक