सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘धर्म के लिए अन्य धर्मी एकजुट हो जाते हैं, जबकि संकीर्ण वृत्ति के हिन्दू केवल जाति के लिए एकजुट होते हैं और अन्य जाति के स्वधर्मियों से लडते हैं । इसलिए हिन्दू प्रतिदिन मार खाते हैं । इस समस्या का एकमात्र उपाय है, हिन्दुओं को साधना सिखाकर उनमें धर्माभिमान जागृत करना !’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक