हिन्दुओं में धर्मप्रेम न होने का परिणाम !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

‘मुसलमान एवं ईसाई पंथी अपने अपने पंथ में आपस में एकजुट होते हैं । इसके विपरीत हिन्दुओं में तथाकथित बुद्धिप्रमाणवादी (धर्मद्रोही) धर्म सम्बन्धी विकल्प निर्माण करते हैं, इसलिए हिन्दुओं में धर्मप्रेम नहीं है । इस कारण वे एकजुट नहीं हैं तथा वे अन्य धर्मियों से प्रतिदिन मार खाते हैं ।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक