सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘जो वैद्य नहीं, उन्हें सरकार रोगियों पर उपचार करने के लिए नहीं कहती । सरकार को न्यायालय में याचिका करनी हो, तो जो अधिवक्ता नहीं उससे नहीं कहती । परंतु मंदिर का प्रबंधन संभालने के लिए भक्तिभाव रहित लोगों को सरकार मंदिरों का उत्तरदायित्व सौंपती है । इसलिए मंदिरों में भ्रष्टाचार होता है तथा मंदिरों की सात्विकता भी नष्ट होती जा रही है ! हिन्दू राष्ट्र में अच्छे भक्तों के पास ही मंदिरों का दायित्व होगा !’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक