रूस पर लगाए गए प्रतिबंध का परिणाम !
बर्लिन (जर्मनी) – ऊर्जा संकट से उत्पन्न समस्याओं और चुनौतियों का सामना करने के लिए जर्मनी की सरकार को वर्ष २०३० तक १ अरब डॉलर अर्थात लगभग ८३ लाख करोड़ रुपयों की व्यवस्था करनी पड़ेगी, ऐसा अनुमान आर्थिक क्षेत्र के वैश्विक प्रतिष्ठान ‘ब्लूमबर्ग’ने व्यक्त किया है । रशियाने एक वर्ष पहले यूक्रेन से युद्ध आरंभ किया था । इसलिए, पाश्चात्त्य देशों ने रशिया से अपने सारे संबंध तोड़ने आरंभ कर दिए हैं । इससे रशिया के नैसर्गिक वायु और अन्य ऊर्जा प्रकारों पर निर्भर जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर बहुत आघात हुआ है । विगत ३० वर्षों की तुलना में आज की महंगाई उच्चतम स्तरपर है ।
Energy crisis to cost Germany $1 trillion – Bloomberg
Berlin’s spending on tackling skyrocketing energy costs has already topped $270 billionhttps://t.co/T1fplrRIZU pic.twitter.com/SgdNglyGyw
— RT (@RT_com) February 26, 2023
‘ब्लूमबर्ग’ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है,
१. जर्मनी के ऊर्जा संयंत्रों का आधुनिकीकरण के साथ-साथ कोयले पर आधारित प्रकल्पों को रोकने के लिए इतना प्रचंड खर्च करना ही पड़ेगा ।
२. विद्युत वाहनों की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए भी जर्मनी को कमर कसनी पड़ेगी ।
३. विद्युत प्रकल्पों में इतना परिवर्तन करने के लिए प्रतिदिन फुटबाल के ४३ मैदानों के बराबर भूमि पर सौरऊर्जा पैनल लगाने होंगे ।
४. ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए घरेलू तथा व्यावसायिक स्तरों पर अनुदान देने के लिए जर्मनीने ६८१ अरब यूरो (लगभग ६० लाख करोड़ रुपए) की व्यवस्था की है ।