९० दिनों में सिंधु जल समझौते के परिवर्तनों पर चर्चा करने की समयमर्यादा
नई देहली – भारत ने सितंबर १९६० के सिंधु जल समझौते में सुधार के प्रकरण में पाकिस्तान को नोटिस जारी की है । भारत द्वारा भेजी गई इस नोटिस में सिंधु जल विभाजन समझौते के भौतिक उल्लंघन सुधार के लिए पाकिस्तान को ९० दिनों के अंदर आंतर-सरकारी अनुबंध करने की समयमर्यादा दी गई है ।
जानें भारत ने क्यों जारी किया पाकिस्तान को नोटिस, अब बूंद-बूंद पानी को तड़पेगा पड़ोसी!#india#Pakistanhttps://t.co/oVPuZpLgFg
— India TV (@indiatvnews) January 27, 2023
१. भारत सरकार ने कहा कि भारत ने अनेक बार आपस में समझौता कर मध्यस्थी का मार्ग ढूंढने का प्रयत्न करने के उपरांत भी पाकिस्तान ने वर्ष २०१७ से २०२२ तक, स्थायीरूप से सिंधु आयोग की ५ बैठकों में इस विषय पर चर्चा करना नकारा है । इसलिए अब पाकिस्तान को नोटिस द्वारा निर्देश दिया गया है । पाकिस्तान के अनुचित कृत्यों का सिंधु जल समझौते की व्यवस्था एवं उसकी कार्यवाही पर विपरित परिणाम हुआ है ।
२. सिंधु जल समझौते के अनुसार बियास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब एवं झेलम, इन ६ नदियों के पानी का वितरण एवं उपयोग करने के अधिकार समाहित हैं । वैश्विक बैंक ने इस अनुबंध में मध्यस्थी की थी । इन नदियों के कुल पानी के विभाजन में से २० प्रतिशत भाग भारत का है । इन नदियों का पानी खेती एवं घरेलु कामों के लिए व्यय करने का अधिकार भारत को है । इसके साथ ही भारत कुछ विशिष्ट मापन अधिकारों के अनुसार जलविद्युत प्रकल्प का निर्माण कर सकता है ।
३. वर्ष २००५ में ‘इंटरनैशनल वाटर मेनेजमेंट इन्स्टिट्यूट’ एवं ‘टाटा वाटर पॉलिसी प्रोग्राम’ द्वारा भारत-पाकिस्तान के मध्य सिंधु पानी विभाजन समझौता स्थगित करने की मांग की गई थी । इस समझौते के कारण जम्मू-कश्मीर की प्रतिवर्ष ६० सहस्र करोड रुपए की हानि हो रही है । जम्मू-कश्मीर घाटी में २० सहस्र मेगावॅट से अधिक बिजली का निर्माण किया जा सकता है; परंतु आज यह समझौता भारत के २ बिजली प्रकल्पों के लिए रोडा बन रहा है ।