कैनडा में वर्ष २०२१ में १० सहस्र से अधिक लोगों ने स्वीकार की इच्छामृत्यु !

प्रतिकात्मक छायाचित्र

ओटावा (कैनडा) – कैनडा में नागरिकों को इच्छामृत्यु का स्वीकार करने की अनुमति है । उसके कारण वहां वर्ष २०२१ में १० सहस्र से अधिक लोगों ने इच्छामृत्यु को स्वीकार कर अपने प्राण त्याग दिए हैं । यह संख्या कैनडा में इस वर्ष हुई कुल मृत्युओं से ३० प्रतिशत है । अब कैनडा की सरकार मार्च २०२३ से मानसिकदृष्टि से बीमार लोगों की भी इच्छामृत्यु की कानूनन अनुमति देनेवाली है । इसमें अल्पायु लोगों का भी समावेश है ।

१. वर्ष २०१५ में न्यायालय के आदेश के उपरांत कैनडा में इच्छामृत्यु का स्वीकार करने का मार्ग प्रशस्त हुआ था । उसके अगले वर्ष अर्थात २०१६ में यह कानून बना तथा १८ वर्ष के उपर का कोई भी नागरिक किसी समस्या के कारण निराश हों, तो उन्हें इच्छामृत्यु की अनुमति दी जाती है ।

२. ‘द डीप प्लेसेस : ए मेमोएर ऑफ इलनेस एंड डिस्कवरी’ पुस्तक के लेखक रॉस दौतहत ने बडी संख्या में हो रही इच्छामृत्युओं के विषय में बताया कि यदि एक वर्ष में १० सहस्र लोक इच्छाइच्छामृत्यु का स्वीकार करते हों, तो वह किसी भी स्वस्थ नागरी समाज का प्रतीक नहीं हो सकता, इसके विपरीत वहां आतंक का राज्य होता है ।

३. कैनडा के अधिकांश लोग इच्छामृत्यु का समर्थन कर रहे हैं । उनके मत के अनुसार सम्मानपूर्वक जीने के साथ ही सम्मानपूर्ण मरना भी मनुष्य का अधिकार है ।

४. ‘असोसिएटेड प्रेस’ की मारिया चेंग उनके एक समाचार में कहती हैं कि कैनडा में स्वास्थ्य कर्मचारी आर्थिक तंगी से त्रस्त होने के कारण आत्महत्या का विचार करनेवाले लोगों को इच्छामृत्यु का स्वीकार करने का सुझाव देते हैं ।

संपादकीय भूमिका

  • इच्छामृत्यु का स्वीकार करने से उस व्यक्ति का जिन-जिन लोगों से लेनदेन हिसाब होते हैं, उन्हें बिना चुकाए ही जीवन समाप्त किया जाता है । यह स्वेच्छा है तथा वह प्रकृति के नियमों में हस्तक्षेप करने जैसा है; इसलिए हिन्दू धर्मशास्त्र में इच्छामृत्यु का कोई स्थान नहीं है । केवल उन्नत एवं संत ही अपना जीवनकार्य समाप्त करने के उपरांत समाधि अथवा अन्य पद्धति से अपने जीवन को विराम देते हैं, इसे भी यहां ध्यान में लेना होगा !
  • कैनडा का कथित सुधारवादी समाज एवं सरकार को अध्यात्मशास्त्र ज्ञात न होने के कारण वहां इच्छामृत्यु का स्थान है । इससे वे अपने नागरिकों को आध्यात्मिक स्तर पर हानि पहुंचा रहे हैं !