सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘आजकल पश्चिमी देशों में अधिकांशतः लडने के लिए कोई अपना चाहिए; इसलिए विवाह करते हैं । आगे लडाई-झगडे से ऊब जाने पर संबंध विच्छेद करते हैं । पुनः विवाह करते हैं और पुनः संबंध विच्छेद करते हैं । यह चक्र जारी रहता है । हमारे यहां ऐसी स्थिति न हो, इसके लिए साधना करें !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले