वास्तव में प्रदूषण का निवारण करना है तो पहले मन का प्रदूषण दूर करें !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

‘प्रदूषण के विषय में सर्वत्र दिखावा कर जो उपाय किए जाते हैं, वे रोग के मूल पर उपाय करने की अपेक्षा, ऊपरी उपाय करने के समान हैं । प्रदूषण के लिए कारणभूत रज-तम प्रधान मन एवं बुद्धि को साधना से सात्त्विक किए बिना, अर्थात मूलगामी उपाय किए बिना, किए गए ऊपरी उपाय हास्यास्पद हैं । यह वैसे ही है ,जैसे क्षय रोगी को क्षय रोग की औषधि न देते हुए केवल खांसी की औषधि दी जाय !’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले