वैश्विक जनसंख्या वृद्धि का परिणाम

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

‘किसी थाली में कीटाणुओं की वृद्धि सीमा से अधिक हो जाए, तो थाली में रखा भोजन कीटाणुओं के लिए पर्याप्त नहीं होता । इस कारण वे मर जाते हैं । ऐसी ही अब पृथ्वी की स्थिति हो गई है । पृथ्वी की क्षमता ३०० करोड़ लोगों का पालन पोषण करने की है । अब पृथ्वी पर मानव की संख्या ७५० करोड़ हो गई है । इस कारण आगे घासलेट, पेट्रोल, गैस, पानी, भोजन, इतना ही नहीं; शुद्ध हवा भी मानव की आवश्यकता के अनुरूप नहीं मिलेगी । इस कारण बडी संख्या में मानवजाति नष्ट होगी ।

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले