हरिद्वार में आयोजित संतों की धर्म संसद में कट्टरपंथियों के विरोध में उत्तराखंड भाजपा सरकार को उच्चतम न्यायालय की सूचना !

उत्तराखंड – उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर में, हरिद्वार में आयोजित संतों की धर्म संसद में कट्टरपंथियों के विरोध में किए गए कथित विवादित बयानों को लेकर उत्तराखंड सरकार को कानूनी सूचना जारी की है । मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना, न्यायाधीश सूर्यकांत और हेमा कोहली की पीठ  ने सूचना जारी की है । पुलिस और प्रशासन द्वारा कदाचार, अंतरराष्ट्रीय समझौतों के उल्लंघन में नरसंहार के लिए खुली अपील और घृणित बयान देने के आधार पर, संसद के विरोध में याचिका प्रविष्ट की गई है ।

कांग्रेस नेता अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायालय में याचिकाकर्ताओं का बचाव किया । सिब्बल ने न्यायालय को बताया, कि इस प्रकार की सभाओं के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए एक प्रभारी अधिकारी (एक विशेष परियोजना को सौंपा गया एक अधिकारी) को नियुक्त करने के लिए पहले एक आदेश जारी किया गया था । इस प्रकरण की जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए, क्योंकि जिन राज्यों में चुनाव की घोषणा हो चुकी है, वहां ऐसी रैलियां की जाएंगी । यदि इन रैलियों में हिंसा को उकसाया गया एवं संबंधित लोगों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई, तो देश का वातावरण बिगडेगा ।

याचिका पर १२ जनवरी को सुनवाई तब हुई, जब सिब्बल ने मामले की सुनवाई १० जनवरी को करने की मांग की । याचिकाकर्ताओं ने १७ और १९ दिसंबर को यति नरसिंहानंद द्वारा हरिद्वार में और दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा दिए गए कथित द्वेषपूर्ण भाषणों के संबंध में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका प्रविष्ट की है । याचिका, गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस आयुक्त और उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक के विरुद्ध प्रविष्ट की गई है ।