गुरुग्राम (हरियाणा) में प्रशासन द्वारा नमाज पठन के लिए दी गई अनुमति का विरोध !

नमाज पठण के स्थान पर स्थानीय लोगों द्वारा हवन !

स्थानीय लोगों का विरोध होने पर, प्रशासन सार्वजनिक स्थान पर नमाज पठन की अनुमति कैसे देती है ? हरियाणा में भाजपा की सरकार होते हुए भी ऐसी अनुमति कैसे मिल सकती है ? – संपादक


गुरुग्राम (हरियाणा) – विगत कुछ माह से, सार्वजनिक स्थान पर शुक्रवार के नमाज पठन के लिए दी गई की अनुमति का स्थानीय हिन्दू विरोध कर रहे हैं । २६ नवंबर को सेक्टर ३७ में, जहां नमाज होनी थी, वहां हिन्दुओं द्वारा हवन करना आरंभ कर देने के कारण, नमाज पढने वालों को वापस जाना पडा । परंतु, कुछ समय के पश्चात, हाजी शहजाद की उपस्थिति में, २५ लोगों ने हवन स्थल से कुछ दूरी पर, एक कोने में नमाज पठण किया । उस समय स्थानीय लोगों ने ‘जय श्रीराम’ की घोषणाएं दी । हवन के संबंध में हिन्दुओं का कहना था कि, “हमने यह हवन उन लोगों के लिए किया है, जिनकी २६ नवम्बर २००८ को मुंबई में हुए आतंकवादी आक्रमण में मृत्यु हुई थी । ऐसा प्रति वर्ष किया जाता है । इस वर्ष हमने इस स्थान पर हवन किया है ।”

१. हवन में उपस्थित ‘जय भारतमाता वाहिनी’ के संस्थापक दिनेश ठाकुर ने इस समय कहा कि, ‘हम खुले स्थान पर नमाज पठन करने का विरुद्ध करते हैं । इसीलिए, हम यहां आए हैं तथा इसकी सूचना प्रशासन को इसके पूर्व ही दी जा चुकी है ।’

२. नमाज पठन को हुए विरोध के संबंध में हाजी शहजाद ने कहा है कि, ‘प्रशासन ने हमें नमाज पठन करने की अनुमति दी है तथा मुसलमान विगत कुछ वर्षों से यहां नमाज पठन कर रहे हैं ।’ ऐसी स्थिति में, अब यहां का वातावरण दूषित करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है ?

३. ‘मुस्लिम एकता मंच’ के अल्ताफ अहमद ने कहा है कि, “विगत ३ माहों से नमाज पठन का विरोध किया जा रहा है । यह संविधान के अनुच्छेद २५ का उल्लंघन है । ऐसे लोगों के विरुद्ध प्रशासन को कार्यवाही करनी चाहिए ।”

गुरुद्वारा में नमाज पठन करने के लिए कोई नहीं आया !

इस विरोध के पश्चात, यहां की ‘गुरुद्वारा समिति’ ने मुसलमानों को गुरुद्वारा में नमाज पठन करने के लिए आमंत्रित किया ; परंतु, यहां २६ नवंबर को नमाज पठण के लिए कोई भी नहीं आया । (क्या हिन्दुओं अथवा सिखों को कभी किसी मस्जिद में उनके धार्मिक कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित किया जाता है ? ऐसी स्थिति में, यह एकपक्षीय धर्मनिरपेक्षता क्यों ? – संपादक) मुसलमानों ने कहा है कि, “हमारी मस्जिद निकट ही है ।” (मस्जिद निकट होने की स्थिति में, अन्य समय सार्वजनिक स्थानों पर नमाज क्यों पढते हैं ? – संपादक) देहली से सरदार राजीव रंजन अपने साथियों के साथ गुरुद्वारे गए थे । उन्होंने चेतावनी दी है कि, ‘सिख धर्म के अनुसार, गुरुद्वारे में नमाज पठन की अनुमति नहीं दी जाएगी ।’ (सरदार राजीव रंजन का धर्म पालन करने के लिए अभिनंदन ! – संपादक)