अवयस्क युवती का यौन शोषण करने का समर्थन करने का आरोप
क्या कम्युनिस्ट कभी चर्च में पादरियों द्वारा ननों, युवकों, युवतियों, आदि के यौन शोषण के विरुद्ध बोलते हैं ? जब केरल में ऐसी कई घटनाएं होती हैं, तब कम्युनिस्ट, पाद्रियों का समर्थन करने का ही प्रयास करते हैं ; परंतु, असत्य आरोप लगाकर हिन्दू संतों की अपकीर्ति करने में कम्युनिस्ट सबसे आगे हैं ; यही कम्युनिस्टों का पाखंड है, यह ध्यान में रखें ! – संपादक
कोलिकोड (केरल) – यहां के ‘अद्वैत आश्रम’ एवं उसके प्रमुख स्वामी चिदानंदपुरी पर केरल के कम्युनिस्ट विचारकों ने एक अवयस्क युवती का यौन शोषण करने वाले व्यक्ति का समर्थन करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है । स्वामी चिदानंदपुरी सदैव ही हिन्दुत्व के पक्षधर हैं । वे हिन्दू धर्म पर हो रहे आक्रमणों का विरोध करते हैं । इसलिए, कहा जा रहा है कि, उन्हें जानबूझकर लक्ष्य बनाया गया है ।
१. जनवरी २०१८ में, आश्रम के ‘श्री शंकर न्यासा’ की भूमि पर, ‘केरल राज्य खेल परिषद’, ‘केरल कलारीपयट्टू एसोसिएशन’ एवं ‘युवा मामलों के मंत्रालय’ इन शासकीय संगठनों द्वारा मान्यता प्राप्त ‘पेराम्बरा शिव शक्ति केंद्र’ को कलारीपयट्टू (केरल का कराटे का एक रूप) सिखाने के लिए भूमि दी गई थी । समाज से मांग आने के कारण यह भूमि दी गई थी । श्री मजींद्रन गुरुक्कल इस केंद्र के प्रमुख थे ।
२. वर्ष २०१८ में, केरल राज्य में आई बाढ के कारण यह केंद्र कुछ महीनों के लिए बंद कर दिया गया था । उसके पश्चात, कुछ समय के लिए कक्षाएं पुनः आरंभ हुई थी ; परंतु, कोरोना महामारी के कारण यह केंद्र पुनः बंद कर दिया गया । इस केंद्र में अनेक युवक-युवतियां शिक्षा ले रहे थे । इस कालावधि में, श्री मजींद्रन गुरुक्कल ने एक अवयस्क युवती के साथ दुष्कर्म किया, यह बात अब सामने आई है । उस समय उस युवती की आयु ११ वर्ष थी । वह अब मानसिक कष्ट से पीडित है । इसलिए, जब उसे चिकित्सक के पास ले जाया गया, तब पता चला कि उसका यौन शोषण किया गया था । इसलिए, श्री. मजींद्रन को बंदी बना लिया गया है ।
३. जबकि, स्वामीजी एवं आश्रम का इस प्रकरण से कुछ भी संबंध नहीं है । केवल इसलिए, कि कलारीपयट्टू के लिए आवंटित भूमि आश्रम की है, इस कारण से स्वामीजी एवं आश्रम की आलोचना की जा रही है ।
४. स्वामीजी एवं आश्रम प्रबंधन का मानना है, कि इस प्रकरण में संपूर्ण जांच न्यायिक पद्धति से की जानी चाहिए । आश्रम एवं स्वामीजी, पुलिस का उचित सहयोग कर रहे हैं ।
अद्वैत आश्रम के स्वामी चिदानंदपुरी पर ‘लव जिहाद’ और ‘ननों पर अत्याचार’ के प्रकरण पर कम्युनिस्ट चुप क्यों हैं ? – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिंदू जनजागृति समिति
स्वामी चिदानंदपुरी सदा हिंदुत्व के पक्षधर रहे हैं । वे हिंदू धर्म पर आक्रमण का विरोध करते रहे हैं । इसलिए, उन्हें जानबूझकर लक्ष्य बनाया जा रहा है । हिन्दू संतों को बदनाम करने के लिए कम्युनिस्टों का यह कोई पहला प्रयास नहीं है, कम्युनिस्ट पहले भी अनेक बार इस प्रकार के प्रयास कर चुके हैं । जिस व्यक्ति से स्वामी जी का कोई लेना-देना नहीं है, उसके अनुचित कार्य के कारण स्वामीजी को क्यों लक्ष्य बनाया जा रहा है ? स्वामी चिदानंदपुरी पर एक अवयस्क युवती का यौन शोषण करने वाले का समर्थन करने का आरोप लगाने वाला कम्युनिस्ट पक्ष, इस तथ्य पर चुप क्यों है, कि केरल में हिन्दू युवतियों का ‘लव जिहाद’ के शिकार के रूप में शोषण किया जा रहा है अथवा बिशप फ्रैंको मुलक्कल द्वारा नन के यौन शोषण प्रकरण में कम्युनिस्ट पक्ष चुप क्यों हैं ? यह कम्युनिस्टों का दोगलापन है । इससे स्पष्ट होता है, कि कम्युनिस्ट अन्याय के विरुद्ध नहीं, अपितु हिन्दू धर्म, हिन्दू संतों तथा हिन्दू संस्कृति के विरोध में लडना चाहते हैं । अद्वैत आश्रम के स्वामी चिदानंदपुरी पर लगे आरोप निराधार हैं और हम स्वामी जी के समर्थन में हैं । इस प्रकरण में, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने अपनी दृढ नीति व्यक्त की ।