कश्मीर में जिहादी आतंकवादियों का विनाश किया जा रहा है, ऐसा कहा जाता है । प्रतिवर्ष २०० आतंकवादी मारे जाते हैं । कुछ आतंकवादियों को बंदी भी बनाया गया है । कश्मीर को विशेषाधिकार देनेवाला अनुच्छेद ३७० रद्द कर दिया गया है । पाक सीमा पर भारत और पाक में हुई सहमति के उपरांत शस्त्रसंधि लागू की गई है । ऐसा होते हुए भी जिहादी आतंकवादियों की कार्यवाही पर विराम नहीं लग पाया है, यही वास्तवकिता है । इसके विपरीत, ये गतिविधियां अधिक घातक होती जा रही हैं, जम्मू स्थित भारतीय वायुदल की छावनी पर ड्रोन से किए गए बम विस्फोट की घटना से यह सुस्पष्ट होता है । जिहादी आतंकवादियों की शक्ति अभी भी शेष है, अपने इन कृत्यों से वे हमें निरंतर ऐसा दिखाते रहते हैं । ‘हम अभी भी जीवित हैं और भारत हमें समाप्त नहीं कर सकता’, आक्रमणों द्वारा वे यह दिखा रहे हैं । कुछ दिन पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर के सभी दलों के नेताओं की बैठक आयोजित कर कश्मीर के विकास एवं चुनाव के विषय में चर्चा की । सर्व दलों के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह चर्चा सकारात्मक थी । इस बैठक के कारण जिहादी आतंकवादियों का निर्माता एवं कश्मीर की समस्या का मुख्य सूत्रधार पाक व्यथित होने के कारण उसने आतंकवादियों को घातक आक्रमण करने का आदेश दिया होगा, वायुदल की छावनी पर हुए आक्रमण से ऐसा ध्यान में आता है । इस आक्रमण में उपयोग किए गए ड्रोन चीन ने पाक की सेना को दिए थे । अर्थात जब तक पाक को स्थायी रूप से पाठ नहीं पढाया जाता, तब तक कश्मीर में जिहादी आतंकवाद नष्ट नहीं होगा । जिहादी आतंकवाद भस्मासुर जैसा है, जिसके प्राण पाक में रहते हैं । एक एक जिहादी आतंकवादी को ढूंढ-ढूंढ कर समाप्त करने से जिहादी आतंकवाद कभी भी जड से नष्ट नहीं होगा ।
आक्रमण आरंभ !
अब ड्रोन द्वारा आक्रमण करनेवाले आतंकवादियों की खोज की जाएगी । संभवत: उन्हें मुठभेड में मारा भी जाएगा; किंतु नए आतंकवादी उनका स्थान लेंगे तथा वे नई-नई पद्धतियों से आक्रमण करेंगे । कल तक आतंकवादी भूमि से आक्रमण करते थे । अब वे वायु मार्ग से (आकाश) आक्रमण करने लगे हैं, यह अधिक चिंताजनक है । इसका किस प्रकार सामना करें ?, यह एक जटिल प्रश्न है ।
इससे पूर्व भी पाक ने पंजाब के खलिस्तानी आतंकवादियों के लिए ड्रोन द्वारा शस्त्र भेजे थे । नशीले पदार्थाें की तस्करी भी ड्रोन द्वारा की जा रही है । भारतीय सुरक्षादलों को इन गतिविधियों पर नियंत्रण प्राप्त करने में अभी तक सफलता नहीं मिली है । भविष्य में ऐसे आक्रमण हुए, तो कश्मीर में अपेक्षित शांति कैसे निर्माण होगी ? वायुदल की छावनी पर हुए आक्रमण के दूसरे दिन आतंकवादियों ने पुन: ड्रोन द्वारा आक्रमण करने का प्रयास किया, जिसे सतर्क सैनिकों ने नष्ट किया । जम्मू के कालचूक स्थित सैनिक छावनी पर रात में दिखाई दिए ड्रोन पर सैनिकों ने गोलीबारी कर उसे खदेड दिया । इससे स्पष्ट होता है कि अब जिहादी आतंकवादी सीधे आक्रमण न करके इस प्रकार आक्रमण करेंगे । ऐसे आसमानी आक्रमणों के साथ ‘भूमि से भी आक्रमण होते रहेंगे’, आतंकवादियों ने विशेष पुलिस अधिकारी अहमद के घर में घुसकर उन्हें मारकर यह दिखा दिया है । इस प्रकार आकाश और भूमि, इन दोनों मार्गाें से आक्रमण हो रहे हैं । अब सेना को आतंकवादियों के विरुद्ध कार्यवाही का अलग से विचार करना होगा ।
चुनावों से क्या साध्य होगा ?
विगत कुछ माह में आतंकवादियों ने भाजपा के कुछ नेताओं की हत्या की है । अब भाजपा के केंद्रशासन द्वारा कठोर कार्यवाही करना आवश्यक है, ऐसा हिन्दुओं को लगता है । अनुच्छेद ३७० रद्द होने के २ वर्ष उपरांत भी हिन्दू कश्मीर में नहीं जा सकते । जिन्होंने जाने का प्रयास किया, उन्हें चुन-चुनकर मारा गया । ‘ऐसे में कश्मीर में चुनाव करवाकर क्या साध्य होगा ?’, ऐसा प्रश्न निर्माण होता है । चुनाव द्वारा पुन: पाकप्रेमी पीडीपी, नेशनल कॉन्फरेंस जैसे पक्ष ही चुनकर सत्ता में आएंगे, तब वही ‘पुन: ढाक के तीन पात’, जैसी स्थिति निर्माण होगी । जम्मू-कश्मीर का विभाजन करने से वहां के मतदाता क्षेत्र की पुर्नरचना कर जम्मू में अधिक मतदाता क्षेत्र निर्माण होंगे तथा कश्मीर का मतदाता क्षेत्र अल्प होगा । जिससे भाजपा की सत्ता निर्माण होगी और हिन्दू मुख्यमंत्री होगा । इस संभावना को स्वीकार करें, तब भी आतंकवादियों को पाकिस्तान से नियंत्रित किए जाने के कारण उसे रोकने के लिए राज्य शासन क्या कर सकता है ? यह प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाता है ।
कश्मीर का धर्मांतरण !
कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां चालू होते हुए भी वहां जो सिक्ख हैं, उनमें से २ लडकियों का अपहरण कर बलपूर्वक इस्लाम में उनका धर्मांतरण किए जाने की घटना सामने आई है । जो पाक में होता है, वही भारत में भी हो रहा है, हिन्दू और सिक्खों के लिए भी यह लज्जाजनक है । इसे लव जिहाद की घटना बताया जा रहा है । एक ओर कश्मीर में पुन: हिन्दुओं को स्थापित करने का प्रयत्न आरंभ है, तो दूसरी ओर उसी समय होनेवाली ऐसी घटनाओं से कश्मीर में केवल जिहादी आतंकवाद ही नहीं, अपितु अन्य जिहादी संकट हैं और उनसे भी लडना होगा, यही दिखाई देता है ।
आक्रामक होना आवश्यक !
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आयोजित कश्मीर के नेताओं की बैठक के उपरांत आतंकवादियों की यह आक्रामकता रोकने हेतु अब भारत को भी दुगुनी आक्रामकता दिखाने की आवश्यकता है । तथापि सरकारी स्तर से अब तक कश्मीर की घटना का प्रत्युत्तर देने के लिए कोई भी विधान नहीं किया गया है । ऐसा प्रश्न निर्माण होता है कि क्या बडी क्षति न होने से सरकार उस ओर गंभीरता से नहीं देख रही है ? इस नीति से क्या कभी भी कश्मीर का आतंकवाद नष्ट होगा ? संभवत: इसके उपरांत कोई सर्जिकल अथवा एयर स्ट्राइक की जाएगी; किंतु उससे भी जिहादी आतंकवादी नष्ट नहीं होंगे । उन्हें नष्ट करने के लिए पाक को ही नष्ट करना होगा !