केरल विधानसभा में तोड़फोड़ करने वाले विधायकों के विरुद्ध प्रविष्ट अभियोग वापस लेना सर्वोच्च न्यायालय ने नकारा !

  • ऐसे वर्तन से विधायक, जनता को क्या संदेश देना चाहते थे ? – सर्वोच्च न्यायालय का प्रतिप्रश्न ! 
  • विधानसभा में असामाजिक तत्वों जैसा व्यवहार करने वाले ऐसे विधायकों को अब सर्वोच्च न्यायालय ही कठोर दंड सुनाए, ऐसी  जनता की अपेक्षा है ।
न्यायमूर्ती डी.वाय.चंद्रचूड, सर्वोच्च न्यायालय

तिरुवनंतपुरम (केरल) – सर्वोच्च न्यायालय ने २०१५ में केरल विधानसभा में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एल.डी.एफ.) के विधायकों द्वारा तोड़फोड़ करने का अभियोग वापस लेने का आदेश देने से मना कर दिया है। प्रकरण पर अगली सुनवाई १५ जुलाई को होगी । न्यायालय ने कहा, यह एक गंभीर घटना है । विधायकों ने सार्वजनिक  संपत्ति को नष्ट किया है । आप जनता को क्या संदेश देना चाहते थे  ?’ केरल में एल.डी.एफ. दल २०१६ से सत्तारूढ़  है ।

एल.डी.एफ. के विधायकों पर विधानसभा में लाउडस्पीकर तोड़ने, एक-दूसरे को पीटने का प्रयत्न करने,  उपद्रव  करने के आरोप में अभियोगप्रविष्ट किया गया है । केरल सरकार ने उनके विरुद्ध प्रविष्ट प्रकरण वापस लेने के लिए याचिका प्रस्तुत की है। केरल सरकार ने विधानसभा उन पर प्रविष्ट अभियोग पीछे लेने हेतु याचिका प्रविष्ट की है । (साम्यवादी दल के विधायकों ने विधान सभा में असामाजिक तत्वों के समान वर्तन किया था; परंतु उन्हें दंड देने के लिए प्रयत्न करने के स्थान पर उनका अभियोग पीछे लेने के लिए याचिका प्रविष्ट करनेवाली केरल की साम्यवादी सरकार! – संपादक) इससे पूर्व भी केरल उच्च न्यायालय ने भी अभियोग पीछे लेने से मना कर दिया था ।