नियमित साधना करने से विविध प्रकार के संकटों से श्रेष्‍ठ सुरक्षा प्राप्‍त हो सकती है ! – पूज्‍य नीलेश सिंगबाळजी, धर्मप्रचारक, हिन्‍दू जनजागृति समिति

आपातकाल में आत्‍मबल बढाने हेतु हिन्‍दू जनजागृति समिति द्वारा ‘ऑनलाइन संपादक पत्रकार संवाद’ का आयोजन

पूज्‍य नीलेश सिंगबाळजी

     वाराणसी (उ.प्र.) – संपादक और पत्रकार समाज के महत्त्वपूर्ण घटक हैं, जिनकी उत्तरदायी भूमिका से देश को आधार मिलता है । कोरोना महामारी के इस भयावह संकट में भी स्‍वयं के स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता न कर यातायात बंदी के नियमों का पालन करते हुए देश के कोने-कोने की स्‍थिति को समाचारों के माध्‍यम से जन-जन तक पहुंचाने का कार्य प्रशंसनीय है । अपने प्राणों को संकट में डालनेवाले संपादक और पत्रकारों को अपने दायित्‍व के अंतर्गत, समाज में सुरक्षित रहने के लिए, आध्‍यात्‍मिक बल की विशेष आवश्‍यकता है । इसी उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखकर हिन्‍दू जनजागृति समिति द्वारा संपादक-पत्रकार विशेष संवाद का आयोजन किया गया, जिसमें पूर्वोत्तर भारत, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा ओडिशा से कुल मिलाकर ३१ संपादक तथा पत्रकार उपस्‍थित थे । उपस्‍थित जनों का मार्गदर्शन करते हुए पूज्‍य नीलेश सिंगबाळजी ने वर्तमान काल में आ रहे विविध संकट जैसे चक्रवाती तूफान, ग्‍लोबल वॉर्मिंग, संभावित तृतीय विश्‍वयुद्ध,कोरोना महामारी के कारणों को अधोरेखित करते हुए बताया कि विज्ञान की उत्तरोत्तर प्रगति तथा आधुनिक यंत्रों एवं उपकरणों के प्रभाव में अध्‍यात्‍म के अस्‍तित्‍व को एक अंधश्रद्धा मानकर, शनैः शनैः हम यह भूल गए हैं कि ईश्‍वर और प्रकृति भिन्‍न नहीं है । प्रकृति इन संकटों के माध्‍यम से वातावरण में संतुलन बना रही है । इस वैश्‍विक संकट के समय में ईश्‍वर की शरण ही जाना आवश्‍यक है । इन प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए हमें आध्‍यात्‍मिक बल ही चाहिए ।
श्रीमद़्‍भगवतगीता में लिखा है कि ‘न मे भक्‍तः प्रणश्‍यति ।’ अर्थात ईश्‍वर के भक्‍तों का नाश नहीं होता । अतः भक्‍त कौन है ? वह जो भगवान की भक्‍ति करता है, साधना करता है । कलियुग की सर्वश्रेष्‍ठ साधना है नामजप । हमें अपने कुलदेवता, पूर्वज कष्‍टों को दूर करनेवाले भगवान दत्तात्रेय का जप करना चाहिए । साथ ही वर्तमान में कोरोना विषाणु के विरुद्ध आध्‍यात्‍मिक रूप से प्रतिरोधक क्षमता बढाने हेतु सरकारी नियमों के पालन के साथ-साथ सनातन संस्‍था द्वारा शोध किया गया श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री गुरुदेव दत्त-श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – श्री दुर्गादेव्‍यै नमः – ॐ नमः शिवाय यह जप करने के लिए बताया । साथ ही वैज्ञानिक दृष्‍टि से प्रभावशाली सिद्ध अग्‍निहोत्र करने के लिए भी समाज का आवाहन किया ।
सनातन संस्‍था द्वारा निर्मित सनातन चैतन्‍यवाणी एप, आपातकालीन सुरक्षा एप, सनातन के ग्रंथ आदि के बारे में जानकारी भी इस समय दी गई । अंत में जिज्ञासुओं ने अपनी शंकाएं पूछकर समाधान प्राप्‍त किया और प्रत्‍येक माह इसी प्रकार के संवाद में सहभागी होने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की ।