भारत की दुर्दशा !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

(परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

‘पूर्व काल में भारत का परिचय था, ‘अध्यात्मशास्त्र और संसार को साधना सिखानेवाला साधु- संतों का देश ।’ आज वही पहचान ‘राष्ट्राभिमान और धर्माभिमान रहित भ्रष्टाचारी लोगों का देश’ ऐसी बन गई है ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले