परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
ईश्वर और साधना पर विश्वास ना हो, तब भी चिरंतन आनंद पाने की इच्छा प्रत्येक व्यक्ति की होती है । चिरंतन आनंद केवल साधना से मिलता है । एक बार यह ध्यान में आ जाए, तो साधना का विकल्प न होने के कारण, मानव साधना हेतु प्रवृत्त होता है ।
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले