तमिलनाडु में पिछले ३६ वर्षों में हिंदुओं के मंदिरों की ४७ सहस्र एकड़ भूमि गायब !

मद्रास उच्च न्यायालय की ओर से राज्य सरकार को स्पष्टीकरण देने का आदेश

  • इतने वर्षों में मंदिरों की भूमि गायब होते हुए भी अभी तक के शासनकर्ता सोए थे क्या ? साथ ही मंदिरों के न्यासी और पदाधिकारी क्या कर रहे थे ?

  • श्रद्धालु सोए हुए होने के कारण जन्म हिंदुओं की ओर से मंदिरों की भूमि छीनी जा रही है, यह शोभनीय नहीं ! मंदिरों का और मंदिरों की संपत्ति का रक्षण करना, यह भक्ति ही है, यह हिदुओं को कब समझ में आएगा ?

चेन्नई (तमिलनाडू) – मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को आदेश देकर राज्य के मंदिरों की ४७ सहस्र एकड भूमि गायब होने के मामले में स्पष्टीकरण देने को कहा है । ५ जुलाई २०२१ तक स्पष्टीकरण देने का आदेश न्यायालय ने दिया है । एक याचिका पर सुनवाई करते समय न्यायालय ने यह आदेश दिया है । वर्ष १९८४-८५ में राज्य में मंदिरों की भूमि ५ लाख २५ सहस्र एकड  थी, वो वर्ष २०१९-२० में ४ लाख ७८ सहस्र एकड इतनी रह गई है ।

१. उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार और पुरातत्व विभाग को राज्य के ऐतिहासिक और पुरातत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्मारक, मंदिर, प्राचीन वास्तु, इन सबकी जानकारी लेने के लिए १७ सदस्यों को लेकर आयोग की स्थापना करने का आदेश दिया है । राज्य सरकार को इन सभी की निगरानी करने और मरम्मत करने का आदेश भी दिया गया है ।

२. न्यायालय ने प्रत्येक मंदिर में ‘स्ट्राँग रूम’ के साथ मूर्तियों को सुरक्षित रखने के लिए विडियो के माध्यम से देखरेख करना, मूर्तियों की जानकारी का कम्प्यूटरीकरण करना, उनके छायाचित्र सुरक्षित रखना आदि आदेश भी दिए हैं ।