अगले ४५ वषों में स्वीडन मुसलमानबहुसंख्यक देश बन जाएगा ! – शोधकर्ता का दावा

  • मध्य-पूर्व से आ रहे मुसलमान शरणार्थियों के कारण पूरे यूरोप पर ही संकट छा गया है । अब तो यूरोपीयन देशों की आंखें खुलेंगी, यह अपेक्षा !

  • कश्मीर में जैसी स्थिति बन गई और उसके कारण वहां के हिन्दुओं का नरसंहार कर उन्हें वहां से पलायन करने पर विवश किया गया, अगले कुछ वर्षाें में इन यूरोपीयन देशों में वैसी ही स्थिति उत्पन्न हुई, तो उसमें आश्चर्य कैसा !

  • यूरोपीयन देशों ने कश्मीरी हिन्दुओं की इस स्थिति की उपेक्षा की थी, इसके विपरीत भारत में मुसलमानों के मानवाधिकारों का हनन होता है, यह आक्रोश व्यक्त किया था । अब हिन्दुओं की पीडा उनके ध्यान में आएगी !

हेलसिंकी – (स्वीडन) – यूरोप के अनेक देशों में मध्य-पूर्व के देशों में चल रहे आंतरिक कलह के कारण लाखों की संख्या में मुसलमान शरणार्थी यूरोप पहुंचे हैं । उनके कारण विगत कुछ वर्षाें में यूरोपीयन देशों में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड गई है । उसके कारण स्वीडन में अगले ४५ वर्षाें में वहां के मूलनिवासी लोग अल्पसंख्यक बनकर वहां मुसलमान शरणार्थी ही बहुसंख्यक बनने का संकट उत्पन्न हो गया है । वर्तमान में स्वीडन के एक तिहाई नागरिक अन्य देशों के हैं । उनका प्रजनन दर मूलनिवासी लोगों की अपेक्षा अधिक है । इसके कारण स्वीडन के एक मुसलमान बहुसंख्यक देश बनने की संभावना हो गई है । फिनलैंड के शोधकर्ता क्योस्ति तरवीनैन ने अपने एक शोध में यह सूत्र उठाया है ।

शोधकर्ता क्योस्ति तरवीनैन द्वारा रखे गए सूत्र

. स्वीडन में यदि विदेशी लोगों की संख्या वर्तमान दर से बढती है, तो अगले ४५ वर्षाें में वहां के मूलनिवासी अल्पसंख्यक बन जाएंगे । वर्ष २१०० तक स्वीडन की जनसंख्या में मुसलमान बहुसंख्यक बन जाएंगे ।

. विदेशियों की बढती हुई जनसंख्या के कारण स्वीडन में बडे स्तर पर सांस्कृतिक बदलाव आए हैं । पहले स्वीडन में फिनलैंड के नागरिकों की संख्या अधिक थी; परंतु अब उनका स्थान मुसलमानों ने ले लिया है । पहले फिनलैंड के लोग वहां के नागरिकों में घुल-मिल जाते थे; परंतु मुसलमान लोग स्वीडीश नागरिकों के साथ घुलते-मिलते नहीं । वे अपना स्वयं का प्रभाव स्थापित कर रहे हैं और उसमें अन्य कोई अंतर्भूत नहीं होंगे, ऐसी स्थिति बना रहे हैं ।