सत्ययुग का महत्त्व !
‘सत्ययुग में नियतकालिक, दूरदर्शनवाहिनियां, जालस्थल इत्यादी की आवश्यकता ही नहीं थी; क्योंकि बुरे समाचार नहीं होते थे और सभी लोग भगवान के आंतरिक सान्निध्य में रहने के कारण आनंद में थे ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘सत्ययुग में नियतकालिक, दूरदर्शनवाहिनियां, जालस्थल इत्यादी की आवश्यकता ही नहीं थी; क्योंकि बुरे समाचार नहीं होते थे और सभी लोग भगवान के आंतरिक सान्निध्य में रहने के कारण आनंद में थे ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले