धर्म वह शक्ति है, जो विश्व की बडी जनसंख्या को ‘पर्यावरण योद्धा’ बना सकती है ! – संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण की रक्षा के लिए धर्मगुरुओं की सहायता लेगा !

  • केवल श्रद्धा ही पृथ्वी को बचाने की इच्छा निर्माण कर सकती है !

  • हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र ने धर्म के महत्व को अनुभव किया है । अब यह देखना महत्वपूर्ण है कि, पर्यावरण के लिए वास्तव में कौन काम करता है । चूंकि हिंदू धर्म में प्रकृति और पर्यावरण को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है, इसलिए इसकी रक्षा के लिए हमेशा प्रयास किए जाते हैं ! इसलिए, यदि हम केवल हिंदू धर्म का पालन करते हैं, तो सच्चे अर्थों में पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है !
डॉ. इयाद अबू मोगली

नई दिल्ली : ‘जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने के सभी प्रयासों से, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि, धर्म ही एकमात्र शक्ति है जो विश्व की बडी जनसंख्या को ‘पर्यावरण योद्धा’ बना सकती है । विज्ञान आंकडे दे सकता है ; किंतु, श्रद्धा ही पृथ्वी को बचाने की इच्छा पैदा कर सकती है ।’ संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यू.एन.ई.पी.) के तहत ‘फेथ फॉर अर्थ’ अभियान के निदेशक डॉ. इयाद अबू मोगली ने यह दावा किया है । विश्व भर के धार्मिक संगठनों, पादरियों और आध्यात्मिक नेताओं की सहायता से २०३० तक पृथ्वी के ३० प्रतिशत हिस्से को उसके मूल प्राकृतिक स्वरूप में रूपांतरित करने का लक्ष्य है ।

डॉ इयाद कहते हैं कि, ‘विश्व भर के धार्मिक संगठनों को वह समर्थन नहीं मिल रहा है जिसके वे हकदार हैं । विश्व की अस्सी प्रतिशत आबादी धार्मिक नैतिकता का पालन करती है । इससे इन संगठनों की शक्ति का अंदाजा लगाया जा सकता है । अगर इन संगठनों की संयुक्त संपत्ति को मिला दिया जाए तो यह विश्व की चौथी सबसे बडी अर्थव्यवस्था होगी । ये संगठन विश्व की १० प्रतिशत भूमि को नियंत्रित करते हैं । धार्मिक संगठनों में ६० प्रतिशत स्कूल और ५० प्रतिशत अस्पताल हैं । इस शक्ति को मानव कल्याण के लिए मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से ‘फेथ फॉर अर्थ’ अभियान का जन्म हुआ है । इस वर्ष विश्व के धर्मगुरुओं की संसद जेनेवा में होगी । इसमें ’धार्मिक इको-योद्धा’ भी सम्मिलित होंगे । विज्ञान और धार्मिक-आध्यात्मिक नैतिकता के मेल से इस अभियान को व्यापक रूप मिलेगा ।