राजमहल पर कट्टरपंथियों द्वारा नियंत्रण लेने तक प्रशासन क्या कर रहा था ?
विदिशा (मध्य प्रदेश) – प्रशासन ने तहसीलदार के आदेश का पालन करते हुए, यहां से ७० किलोमीटर दूर उदयपुर नगर में १००० वर्षों पुराने परमार राजवंश के राजमहल पर काज़ी मोहम्मद सैयद इरफ़ान अली द्वारा लगाई गई निजी संपत्ति पट्टिका को हटा दिया है । उससे ५००० रुपये का दंड भी वसूला गया । इस जगह पर अली द्वारा मदरसा चलाया जाता था । (इतने वर्षों तक पुरातत्व विभाग क्या कर रहा था ? अगर इस तरह से हिंदुओं ने संपत्ति का नियंत्रण हासिल किया होता, तो यह विभाग हिंदुओं को तुरंत निष्कासित कर देता ! – संपादक) उसने दावा किया था कि, यह महल १००० नहीं बल्कि ४०० वर्ष पुराना है और इसका निर्माण उसके पूर्वजों ने किया था ।
प्रशासन ने हटाया परमार वंश के राजमहल से काजी परिवार की ‘निजी सम्पत्ति’ का बोर्डhttps://t.co/6vnXPwV9Pm
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) January 8, 2021
अली ने यह भी दावा किया था कि, संपत्ति उसके परिवार के नाम पर सम्राट जहांगीर और शाहजहां द्वारा की गई थी । सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी फैलने की सूचना प्राप्त होने के उपरांत प्रशासन ने यह कार्रवाई की । (क्या सोशल मीडिया के माध्यम से सूचना प्राप्त करने के बाद जागने वाला प्रशासन इतने वर्षों तक सोया हुआ था । यदि ऐसी जानकारी प्रकाश में न आई होती, तो प्रशासन अभी भी सो रहा होता ! – संपादक)