विद्यार्थियो, राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य निभाकर राष्ट्राभिमानी बनें !

गणतंत्रदिवस के उपलक्ष्य में विद्यार्थियों के लिए राष्‍ट्रजागृति पर भाषण

     गणतंत्र के उपलक्ष्य में विद्यार्थी मित्रों को यह राष्‍ट्रीय त्‍यौहार मनाने हेतु राष्‍ट्रजागृति पर मार्गदर्शन दे रहे हैं ।

संकलनकर्त्री : श्रीमती रुपाली वर्तक, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल.

राष्‍ट्रभक्‍ति वृद्धि करने के लिए क्‍या करोगे ?

     राष्‍ट्र के प्रतीक कौन से हैं ? राष्‍ट्रध्‍वज, राष्‍ट्रगीत, ‘वन्‍दे मातरम्’ जैसा राष्‍ट्रीय गीत, राष्‍ट्र का मानचिह्न आदि हमारे राष्‍ट्रीय प्रतीक हैं । इनका यथोचित सम्‍मान करना, हमारा राष्‍ट्रकर्तव्‍य है । आज अनेक स्‍थानों पर राष्‍ट्रध्‍वज, राष्‍ट्रगीत, हमारे राष्‍ट्र का मानचिह्न आदि का अपमान होता दिखाई देता है न ? हमारे राष्‍ट्रप्रतीकों का सम्‍मान करना और यदि कहीं उनका अपमान हो रहा हो, तो उसे रोकना, हमारे द्वारा ये कृत्‍य होने पर ही हमारा राष्‍ट्रप्रेम दिखाई देगा ।

राष्‍ट्रध्‍वज का सम्‍मान कैसे करोगे ?

     ‘२६ जनवरी’ अथवा ‘१५ अगस्‍त’ मनाए जाने के उपरांत हम देखते हैं कि राष्‍ट्रध्‍वज सडक पर, सडक के किनारे इधर-उधर गिरे हुए होते हैं; कुछ नालियों में जाते हैं, तो कुछ पैरों तले कुचले जाते हैं । राष्‍ट्रध्‍वज ऊंचे स्‍थान पर फहराना ये हमारे राष्‍ट्र के स्‍वतंत्र होने का प्रतीक है । मित्रो, हमारे राष्‍ट्रध्‍वज का सदैव सम्‍मान करना, हमारा राष्‍ट्रकर्तव्‍य समझकर आज से हम ऐसी प्रतिज्ञा करेंगे कि ‘राष्‍ट्रध्‍वज का सम्‍मान करने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहेंगे’ । अपनी कक्षा में, पाठशाला में तथा सडक पर कहीं भी राष्‍ट्रध्‍वज पडा दिखाई दे, तो उसे उठाकर पाठशाला में जमा करेंगे । बच्‍चो, राष्‍ट्रध्‍वज सडक पर पडें नहीं, इसलिए हमें प्‍लास्‍टिक के राष्‍ट्रध्‍वज का उपयोग करना ही नहीं है । अपने वाहन तथा कुर्ते की जेब में उन्‍हें लगाना नहीं है  कुछ लोग राष्‍ट्रध्‍वज अपने मुख पर रंगा लेते हैं, कुछ राष्‍ट्रध्‍वज के समान रंगरूप केवस्‍त्र परिधान करते हैं, तो कुछ राष्‍ट्रध्‍वज के रंग का केक काटते हैं । यह उचित नहीं है, अबतक यह आपकी समझ में आ ही गया होगा । कहीं भी ऐसा पाए जाने पर, ऐसा करनेवालों को हमें बताना चाहिए कि यह अयोग्‍य है और इससे हमारे राष्‍ट्रध्‍वज का अनादर होता है ।

राष्‍ट्रगीत और राष्‍ट्र के मानचिह्न के सम्‍मान के प्रति सजग रहें !

     राष्‍ट्रगीत अथवा राष्‍ट्रगीत की धुन कहीं भी बजाई जा रही हो, तो हमें ‘सावधान’ की स्‍थिति में खडे रहना चाहिए । राष्‍ट्रगीत की धुन केवल ५३ सेकंड की है । इतने समय तक खडे रहने का भी राष्‍ट्रप्रेम हमारे अंदर नहीं है क्‍या ?

     कुछ जालस्‍थलों पर अथवा अन्‍य राष्‍ट्रों में हमारे देश का मानचिह्न अनुचित पद्धति से दिखाया जाता है । इनमें कश्‍मीर, अरुणाचल प्रदेश के जो भाग भारत में हैं, उन्‍हें दूसरे देशों में दिखाया जाता है । यह भी बहुत बडा अपराध है । यह केवल राष्‍ट्र का नहीं, अपितु प्रत्‍येक भारतीय नागरिक का अपमान है ।

आदर्श नागरिक के कर्तव्‍य कैसे निभाओगे ?

     यातायात के सर्व नियमों का पालन करना, सडक पर हर समय बाईं ओर से चलना, सडक पर कूडा न फेंकना इत्‍यादि आदर्श नागरिक के कर्तव्‍य जैसे छोटे-छोटे कृत्‍य भी हमें अवश्‍य करने चाहिए । तभी हम कह सकते हैं कि हमें हमारे राष्‍ट्र से प्रेम है । आज बाहर से पाक, चीन इत्‍यादि शत्रु राष्‍ट्र हमारी सीमाओं पर आक्रमण कर रहे हैं, तो राष्‍ट्र में आतंकवाद तथा भ्रष्‍टाचार ने ऊधम मचाकर रखा है  आप सभी छोटे हो, इसलिए इन समस्‍याओं से एकसाथ लड नहीं सकते हो; परंतु आज आपमें आपके राष्‍ट्र के प्रति प्रखर राष्‍ट्राभिमान जागृत हो जाए, तो बडे होने पर आप इन समस्‍याओं का सामना करने के लिए सिद्ध हो जाओगे ।

प्रखर राष्‍ट्राभिमानियों का आदर्श समक्ष रखें !

     विद्यार्थी मित्रो, छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज, महाराणा प्रताप, बाजीराव पेशवा (प्रथम) जैसे धर्मनिष्‍ठ राजा और असंख्‍य राष्‍ट्रप्रेमी क्रांतिकारियों द्वारा आजतक की गई क्र्रांति की लडाई के कारण ही हम आज स्‍वतंत्र भारत में सुरक्षित जीवन जी पा रहे हैं । स्‍वतंत्रतापूर्वकाल में क्रांतिकारियों ने शस्‍त्रसज्‍ज और अनाचारी राज्‍यकर्ता अंग्रेजों का जीना कठिन कर दिया था । कुछ क्रांतिकारियों में बचपन से ही राष्‍ट्रभक्‍ति की ज्‍योति प्रज्‍वलित थी । वर्ष १९१८ की बात, पंजाब के ऊधम सिंह केवल १९ वर्ष के थे । उस समय वे जालियांवाला बाग की सभा में भाषण सुनने के लिए गए थे । सभा में सहस्रों राष्‍ट्रप्रेमी एकत्रित हुए थे । सभा आरंभ हुई और अकस्‍मात अंग्रेज अधिकारी जनरल डायर ने सैनिकों को बंदूकें चलाने के आदेश दिए । मैदान के चारों ओर से दीवारें थीं । भारतीय इस प्रकार से इकट्ठा होकर क्रांति न करें, इस दुष्‍ट उद्देश्‍य से डायर द्वारा २ सहस्र भारतीयों का किया भयंकर नरसंहार ऊधम सिंह ने अपनी आंखों से देखा और हृदय में प्रतिशोध की अखंड ज्‍योति प्रज्‍वलित रखी। ।

     २० वर्ष उपरांत इंग्‍लैंड जाकर उन्‍होंने ओडवायर नाम के अंग्रेज अधिकारी का वध किया । भगत सिंह की भांति सरदार ऊधम सिंह ने हंसते-हंसते फांसी को अपनाया । ऐसे अनेक ऊधम सिंह फांसी पर लटक गए, इसलिए हम स्‍वतंत्र हुए । हमें सदैव इसका स्‍मरण रहना चाहिए । बच्‍चो, राष्‍ट्रीय दिवसों पर हम विद्यालय में अथवा अपने परिसर में क्रांतिकारियों की जीवनी पर प्रवचन, व्‍याखान, वक्‍तृत्‍व अथवा निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन कर उनको स्‍मरण कर सकते हैं । हमारे अभिभावकों अथवा शिक्षकों के साथ राष्‍ट्रपुरुष अथवा क्रातिकारियों के जन्‍मस्‍थल तथा स्‍मारकों का भ्रमण कर सकते हैं । हमारे पास क्रांतिकारियों की जानकारी देनेवाली प्रदर्शनी भी उपलब्‍ध है । हम उसका आयोजन कर सकते हैं राष्‍ट्रपुरुषों और क्रांतिकारियों के स्‍मृतिदिवस मना सकते हैं, साथ ही राष्‍ट्राभिमानियों का मार्गदर्शन अथवा अनुभवकथन आयोजित कर सकते हैं ।

– श्रीमती रुपाली वर्तक, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल.

राष्‍ट्राभिमान कैसे संजोएं ?

१. बंकिमचंद्र चट्टोपाध्‍याय द्वारा लिखित ‘वन्‍दे मातरम्’ गीत स्‍वतंत्रतापूर्वकाल में क्रांतिकारियों का स्‍फूर्तिस्रोत था, तो ‘वन्‍दे मातरम्’ जयघोष क्रांतिकारियों की चेतना जगानेवाला स्‍वतंत्रता का मूलमंत्र था । आज भी जब हम संपूर्ण ‘वन्‍दे मातरम्’ गाते हैं, तो शरीर के रोंगटे खडे हो जाते हैं । विद्यालय, महाविद्यालय, कार्यालयों में हमें उसे अवश्‍य गाना चाहिए और अपनी मातृभूमि का वंदन करना चाहिए ।

संपूर्ण ‘वन्‍दे मातरम्’ गीत इस मार्गिका पर (Link) उपलब्‍ध है :

www.hindujagruti.org/activities/campaigns/vande-mataram/lyrics-meaning

२. कुछ लोग ट्रेकिंग के लिए जाते हैं । विद्यार्थियोें, हमें केवल साहस दिखाने के लिए गढ एवं किलों पर नहीं चढना है, अपितु छत्रपति शिवाजीराजा ने अपने सैनिकों के साथ पराक्रम कर शत्रु से ये गढ जीते और हिन्‍दवी स्‍वराज्‍य स्‍थापित किया । हिन्‍दुओं के इस तेजस्‍वी इतिहास को सतत स्‍मरण में रखना है । इस दृष्‍टि से गढ, किले एवं जलदुर्ग आदि का भ्रमण करें । उन दुर्गों को शिवछत्रपति का पदस्‍पर्श हुआ है, उस समय इसका भान रखें ।

३. विदेशी बनावट की वस्‍तुओं की अपेक्षा स्‍मरणपूर्वक अपने देश के प्रतिष्‍ठानों में (कंपनियों में) बनी वस्‍तुओं का उपयोग करें । इन वस्‍तुओं के प्रतिष्‍ठानों की सूची भी हमारे पास उपलब्‍ध है । विद्यार्थियो, बाबू गेनू नामक युवक स्‍वदेशी का उपयोग करने के आग्रह के कारण अंग्रेजों की विदेशी वस्‍तुओं का ट्रक रोकने के लिए ट्रक के नीचे जा गिरा । ट्रक उसके शरीर के ऊपर से चला गया । क्‍या स्‍वदेशी वस्‍तुओं का उपयोग करने के आग्रह के कारण प्राणार्पण करनेवाले बाबू गेनू के राष्‍ट्रप्रेम की हम कल्‍पना भी कर सकते हैं ?

४. एक-दूसरे से अवश्‍य अपनी मातृभाषा अथवा राष्‍ट्रभाषा में ही संभाषण करें । शुभकामनाएं भी इन्‍हीं भाषाओं में दें । अंग्रेजी शब्‍दों का उपयोग करने से बचें । स्‍वभाषा का अभिमान होने से ही राष्‍ट्राभिमान जागृत होता है ।

     विद्याथियो, उपर्युक्‍त कृत्‍य राष्‍ट्राभिमान दर्शानेवाले कुछ प्रातिनिधिक कृत्‍य हैं । इनमें से थोडे भी कृत्‍य यदि हम कर पाएं, तो वास्‍तविक रूप में हमने गणतंत्र दिवस मनाया, ऐसा कह सकते हैं । राष्‍ट्र के लिए सक्रिय होने का संकल्‍प लेकर तथा भारतमाता और राष्‍ट्रपुरुषों का वंदन कर हम यहीं विश्राम लेंगे ।

– श्रीमती रुपाली वर्तक, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल.