शिनजियांग के मुसलमानों पर चीन के अत्याचार !

(सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन

१. चीन की जनता ही चीन का बडा शत्रु !

     ‘चीन की जनसंख्‍या लगभग १३५ सेे १४० करोड है और अल्‍पसंख्‍यक चीनी जनसंख्‍या के १० प्रतिशत हैं । शिनजियांग में २ करोड उघूर मुसलमान रहते हैं । तिब्‍बत में ५० लाख तिब्‍बती रहते हैं । जहां-जहां चीन के विरुद्ध बोला जाता है, वहां चीन भीषण दमन करता है और उन लोगों को दबाने का प्रयास करता है  इस कारण उघूर मुसलमान और तिब्‍बती जैसे चीन की अन्‍य अल्‍पसंख्‍यक जनता भी चीन से अप्रसन्‍न है । अर्थात चीन का सबसे बडा शत्रु चीन की जनता ही है ।

२. मस्‍जिदें ध्‍वस्‍त

     शिनजियांग में १६ सहस्र से अधिक मस्‍जिदें थीं  वे सभी ध्‍वस्‍त कर दी गईं । आज २० लाख से अधिक मुसलमानों को ‘कॉन्‍सेंट्रेशन कैंप’ में रखा गया है और यह संख्‍या बढ ही रही है ।

३. चीन ने शिनजियांग में बहुत बढा ‘सर्वेलेंस सेंटर’ (निगरानी केंद्र) बनाया है । इससे बडी जनसंख्‍या पर निगरानी रखी जाती है और चीनी शासन के विरुद्ध कोई कुछ बोला, तो उन्‍हें कारागृह में डाला जाता है ।

४. उघूर मुसलमान को अपनी भाषा, धर्म और संस्‍कृति के अध्‍ययन की अनुमति नहीं है  वे अपनी प्रथा-परंपराएं, त्‍योहार, ईद और रमजान जैसे उत्‍सव भी नहीं मना सकते ।

५. विश्‍व में ५० सेे ६० मुस्‍लिम देश हैं; किंतु इन अत्‍याचारों के विरुद्ध बोलने का साहस एक भी देश नहीं करता । चीन से अपने संबंधों से वे इतने प्रसन्‍न हैं कि वे वहां के मुसलमानों पर हो रहे अत्‍याचारों की पूर्णत: अनदेखी कर रहे हैं ।

६. व्‍यक्‍तिगत स्‍वतंत्रता न होना

     इस क्षेत्र के प्रत्‍येक ५ व्‍यक्‍ति पर एक पुलिस अधिकारी है । आधुनिक तंत्रज्ञान तथा ‘सीसीटीवी’ के माध्‍यम से लोगों पर ध्‍यान रखा जाता है । इस क्षेत्र में ‘एक बच्‍चा नीति’ (‘वन चाइल्‍ड पॉलिसी’) का अति कठोरता से पालन करवाया जाता है । वहां के लोगों को थोडी भी व्‍यक्‍तिगत स्‍वतंत्रता नहीं है ।

७. शासन के विरुद्ध बोलनेवालों पर कार्यवाही !

     ‘संयुक्‍त राष्‍ट्र’ के मानवाधिकार आयोग में उघूर मुसलमानों के एक प्रतिनिधि ने भाषण दिया । उसने बताया कि सहस्रों उघूर मुसलमान लापता हैं और सहस्रों कारागृह में हैं  शासन के विरुद्ध कोई कुछ बोला, तो उनके विरुद्ध तुरंत कार्यवाही की जाती है । जो शासन के विरुद्ध बोलते हैं, उन्‍हें चीन के विविध भागों में श्रमिक के रूप में भेजा जाता है ।

८. चीन द्वारा तिब्‍बत के लोगों पर अत्‍याचार ! 

१. तिब्‍बतियों के मठ नष्‍ट कर पर्यटन स्‍थल के रूप में उनका विकास करना : चीन के उघूर मुसलमानों की जो स्‍थिति है, वही स्‍थिति तिब्‍बत के लोगों की भी है । तिब्‍बत के लोग बहुत शांत और संयमी हैं; किंतु चीन की ओर से उन पर भी भीषण अत्‍याचार हो रहे हैं । तिब्‍बती लोगों के मठ (धर्मस्‍थल) नष्‍ट कर दिए गए हैं । जो बडे मठ हैं, उनके निकट ‘शॉपिंग मॉल’ बनाकर उन्‍हें पर्यटन स्‍थल के रूप में विकसित किया गया है । इससे इस क्षेत्र की पवित्रता पूर्णत: नष्‍ट हो गई है ।

२. तिब्‍बती लोग बुरा जीवन जीने को बाध्‍य  तिब्‍बती लोग उनकी भाषा नहीं बोल सकते, उनकी संस्‍कृति अथवा किन्‍हीं प्रथा-परंपराआें का पालन नहीं कर सकते अथवा कोई भी त्‍योहार नहीं मना सकते । इससे उनका जीवन ध्‍वस्‍त हो गया है ।

३. दलाई लामा के पश्‍चात अब चीन अपने पक्ष के दलाई लामा लाने का प्रयास कर रहा है । वैसा होने पर तिब्‍बत पूर्णत: चीन के नियंत्रण में आ जाएगा; क्‍योंकि दलाई लामा तिब्‍बती लोगों के लिए धर्मगुरु तथा उनके सबसे बडे श्रद्धास्रोत हैं ।

४. देश के बाहर अर्थात भारत, अमेरिका अथवा यूरोप जानेवाले तिब्‍बती लोग और उघूर मुसलमानों पर चीनी गुप्‍तचर सदैव ध्‍यान रखते हैं । वे चीन के विरुद्ध कुछ बोलें, तो उन पर कार्यवाही करने का प्रयास किया जाता है ।’

– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे.

भारत की सुरक्षा पर पाकिस्तान की परिस्थिति का परिणाम !

१. भारत की सुरक्षा से लडाकू पठानों का संबंध

१ अ. पख्‍तुनिस्‍तान के पठानों की पाकिस्‍तान में न रहकर स्‍वतंत्र होने की इच्‍छा : ‘पख्‍तुनिस्‍तान में सर्वाधिक पठान जमात है । पख्‍तुनिस्‍तान का अधिक भाग अफगानिस्‍तान और पाकिस्‍तान की भूमि में है । पख्‍तुनिस्‍तान के पठान पाकिस्‍तान में रहना नहीं चाहते, वे स्‍वतंत्र होना चाहते हैं । उनके स्‍वतंत्र होने से भारत की सुरक्षा पर क्‍या परिणाम होगा, इसे ध्‍यान में लेना चाहिए । पठान जमात बहुत लडाकू है । पठानों ने विगत १०० वर्षों में ३ महाशक्‍तियों को पराभूत किया है । १९ वीं शताब्‍दी में ग्रेट ब्रिटेन ने यह प्रदेश अपने अधिकार में लाने के लिए ४ युद्ध किए । वहां इस महाशक्‍ति की पराजय हुई । उस समय कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्‍य का सूर्य कभी भी अस्‍त नहीं होता; किंतु पठानों ने उन्‍हें वहां रोका ।

१ आ. पठानों का युद्ध के माध्‍यम से सभी को हराना : वर्ष १९८० के दशक में ‘यूएसएसआर’ ने (सोवियत संघ ने) अफगानिस्‍तान में आने का प्रयास किया; किंतु यह दूसरी महाशक्‍ति भी वहां हार गई ।

     तदनंतर तीसरी महाशक्‍ति अर्थात अमेरिका ने ९/११ के आक्रमण के पश्‍चात अफगानिस्‍तान अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास किया; किंतु वे वहां से लौट रहे हैं । वहां उन्‍हें किसी प्रकार की विजय नहीं मिली है । इन पठानों ने युद्ध करके सभी को पराजित किया है ।

२. जागतिक महाशक्‍तियों को पराभूत करनेवाले पठानों के प्रदेश में पेशवा का सीमापार झंडा गाडना

     महाराष्‍ट्र में पेशवाई अर्थात मराठा साम्राज्‍य था, तब राघोबादादा सीमा तक पहुंचे थे । विश्‍व के मानचित्र में खैबर घाटी के नीचे सीमा है । इतनी दूर तक जाकर राघोबादादा पेशवा ने सीमा के पार मराठों का झंडा गाडा था । जो किसी महाशक्‍ति के लिए संभव नहीं हुआ, वहां पेशवा क्‍यों गए थे ? भारत पर १ सहस्र वर्षों से मोहम्‍मद गजनी, मोहम्‍मद घोरी आदि के आक्रमण हुए । वे सभी खैबर घाटी से भारत आए थे । मराठा इस खैबर घाटी तक जा पहुंचे थे । उस समय हम आगे भी जा सकते थे; किंतु मराठा और अहमदशाह अब्‍दाली में पानीपत में जो युद्ध हुआ, उसमें हमारी पराजय हुई; किंतु खैबर घाटी से परंपरागत पद्धति से आनेवाले आक्रमणकर्ता तदनंतर पुन: कभी भी नहीं आए । ऐसे पठान पाकिस्‍तान के विरुद्ध जा रहे हैं ।

३. पाकिस्‍तान के लिए कश्‍मीर जाकर लडना पठानों को अस्‍वीकार !

     लडाकू पठान पाकिस्‍तान के विरुद्ध जा रहे हैं । ऐसा हुआ, तो पाकिस्‍तान की स्‍थिति बहुत ही दयनीय हो जाएगी । जब पाकिस्‍तान ने कश्‍मीर मेें आतंकवाद आरंभ किया, तब उन्‍हें लडने के लिए लडाकू चाहिए थे पाकिस्‍तान के पंजाब अथवा सिंध प्रांत के लोग विशेष लडाकू न होने से पाकिस्‍तान ने कश्‍मीर में लडने के लिए अनेक पठानों को लगाया । अब ये पठान कह रहे हैं कि हम पाकिस्‍तान के लिए कश्‍मीर जाकर क्‍यों मरें ?

४. अनेक वर्ष भारत को सतानेवाला पाकिस्‍तान अब ‘बैकफुट’ पर !

     कश्‍मीर मेें अशांति निर्माण करने के लिए पाकिस्‍तान को सदैव आतंकवादी युवाआें की आपूर्ति चाहिए; किंतु अब वह नहीं हो रही है । पख्‍तुनिस्‍तान का स्‍वतंत्रता आंदोलन भारत के लिए एक अच्‍छा संदेश है । सिंंध और बलुचिस्‍तान के स्‍वतंत्रता आंदोलनों ने एक-दूसरे से हाथ मिला लिए हैं । आज वे पाकिस्‍तान के विरुद्ध हो गए हैं । पाकिस्‍तान के भूतपूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पाकिस्‍तान लौटनेवाले हैं । उनकी लडकी मरियम पाकिस्‍तान में है और उसने बेनजीर भुट्टो की ओर से समझौता किया है । ये दोनों पक्ष प्रधानमंत्री इमरान खान और पाक सेना के विरुद्ध लडने के लिए तैयार हैं । पाकिस्‍तान अब ‘बैकफुट’ पर है । उसकी आर्थिक और राजनीतिक स्‍थिति अत्‍यंत दयनीय हो गई है ।

– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे, महाराष्‍ट्र

भारत-चीन सीमा पर भारतीय सेना को शस्‍त्र चलाने की अनुमति मिली !

भारतीय सेना के नेतृत्‍व ने स्‍पष्‍ट किया है कि हमने अब सेना को आदेश दे दिया है । इससे पूर्व हुए अनेक समझौतों के कारण चीन सीमा पर शस्‍त्रों का प्रयोग न करने को बताया गया था; किंतु चीनी सेना ने आप पर आक्रमण किया, तो आपको हाथ पैर से नहीं लडना है । आपको पत्‍थर नहीं फेंकने हैं, वायु में गोलियां नहीं चलानी हैं, अपितु आप अपने पास रक्षा के लिए उपलब्‍ध शस्‍त्रों का प्रयोग कर सकते हैं । इसलिए अब चीन भारत पर किसी भी प्रकार का आक्रमण करेगा, ऐसा नहीं लगता ।