माया के विषय लोग शीघ्र भूल जाते हैं । इसलिए पहला और दूसरा विश्वयुद्ध ही नहीं, नोबल पुरस्कार प्राप्त करनेवाले शास्त्रों के नाम भी २५ से ५० वर्ष तक लोगों के स्मरण में नहीं रहते । इसके विपरीत, अध्यात्म का इतिहास और उसके ग्रंथ युगों-युगों तक मनुष्य के स्मरण में रहते हैं; क्योंकि वे मानव का मार्गदर्शन करते हैं !’
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परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
नूतन लेख
- हिन्दुओ, शत्रु सीमा लांघ रहा है; इसलिए अपनी रक्षा की तैयारी करो !
- सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
- विश्व के विषय में जानने संबंधी विज्ञान और अध्यात्म की क्षमता
- जातिवाद के कारण हिन्दुओं की अधोगति हो रही है !
- बुद्धिवादियों के कारण अध्यात्म के विविध अंगों से वंचित रहनेवाले हिन्दू !
- हिन्दुओं द्वारा धर्म भुलाने का यह है परिणाम !