आयकर विभाग की ओर से बिलिवर्स चर्च पर की गई छापामारी में १४ करोड ५० लाख रुपए नियंत्रण में !

  • चर्च के पादरी के द्वारा प्रमाण नष्ट करने का प्रयास

  • राष्ट्रीय प्रसारमाध्यमों द्वारा समाचार को दबाने का प्रयास

  • हिन्दुओं के मंदिरों अथवा धार्मिक संस्थाओं में घोटाला होने पर सरकार उनका तुरंत सरकारीकरण करती है और उन्हें तुरंत अपने नियंत्रण में लेती है । तो इस प्रकरण में क्या सरकार चर्च को अपने नियंत्रण में लेगी अथवा यहां पाखंडी धर्मनिरपेक्षता दिखाएगी ?

  • मंदिर के पुजारियों द्वारा अज्ञानवश भी प्रमाण नष्ट करने का प्रयास किया जाता, तो पुलिस उन्हें कारागार में बंद कर देती; परंतु इस प्रकरण में पादरियों के विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई है, इसे ध्यान में लें !

  • यह इतना बडा समाचार होते हुए भी राष्ट्रीय स्तर के अधिकतर दैनिक और समाचारवाहिनियों ने इसका संज्ञान नहीं लिया है; परंतु इसके स्थान पर हिन्दुओं का कोई धार्मिक स्थल अथवा संस्था होती, तो उसे वैश्विक प्रसिद्धि देकर हिन्दुओं की बदनामी की जाती !

थिरुवल्ला (केरल) – आयकर विभाग की ओर से यहां के केपी योहानन के बिलिवर्स चर्च पर की जा रही छापामारी ३ दिन के उपरांत अर्थात ९ नवंबर को पूरी हुई । केरल का समाचारपत्र ‘मातृभूमि’ ने यह समाचार प्रकाशित किया है कि इस छापामारी में आयकर अधिकारियों ने चर्च के बिना हिसाबवाले १४ करोड ५० लाख रुपए नियंत्रण में लिए हैं ।

३०० करोड रुपए के घोटाले

इस समाचार में आगे कहा गया है कि आयकर विभाग की इस छापामारी में पिछले ५ वर्षाें में विदेशी सहायतानिधि के रूप में चर्च को ६ सहस्र करोड रुपए मिलने की बात सामने आई । चर्च ने विदेश से प्राप्त इस धन का उपयोग ‘रियल इस्टेट’ (इमारतें और भूमि की खरीद-बिक्री) और निर्माण क्षेत्र में अवैधरूप से खर्च की है, यह बात भी उजागर हुई है । आयकर विभाग को प्राथमिक जांच में चर्च के खाते से ३०० करोड रुपए का घोटाला होने की बात भी ज्ञात हुई ।

(सौजन्य : टाईम्स नाऊ)

पादरी द्वारा ‘आइफोन’ नष्ट करने का प्रयास !

पहले दिन की छापामारी में आयकर विभाग के अधिकारियों ने चर्च के प्रवक्ता पादरी सिजो पंडापल्लील का ‘आइफोन’ नियंत्रण में लिया । इस अवसर पर पादरी ने अधिकारी से ‘आइफोन’ छीन लिया और उसे नष्ट करने का प्रयास किया ।

चर्च की महिला कर्मचारी द्वारा ‘पेन ड्राईव’ नष्ट करने का प्रयास !

चर्च की एक महिला कर्मचारी ने इस प्रकरण से संबंधित घोटाले की धारिका जिस ‘पेन ड्राईव’ में थी, उसे नष्ट करने का प्रयास किया । इस माध्यम से महत्त्वपूर्ण प्रमाण नष्ट करने का उनका प्रयास था; परंतु आयकर अधिकारियों द्वारा समय रहते हस्तक्षेप करने से उसका यह प्रयास विफल हुआ ।