यदि मैं पाकिस्तान जाना चाहता, तो १९४७ में ही चला गया रहता ! – फारूक अब्दुल्ला

अब्दुल्ला पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे; क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि कश्मीर हिन्दू बहुल राज्य बने । यही कारण है कि अब्दुल्ला जैसे लोग कश्मीर में बहुसंख्यक बने रहे और बाद में उनमें से ही कुछ कट्टरपंथियों ने हिन्दुओं का वंश संहार आरंभ कर दिया और कश्मीर को हिन्दू विहीन बना दिया !

श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) – जो लोग हमें पाकिस्तान जाने का सुझाव दे रहे हैं, उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि यदि हम पाकिस्तान जाना चाहते, तो १९४७ में ही चले जाते । उस समय हमें रोकने वाला कोई नहीं था; किंतु हमने भारत में रहने का निर्णय लिया । यह हमारा भारत है । यह महात्मा गांधी का भारत है, भाजपा का नहीं । जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने यहां नेशनल कांन्फरेंस के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की ।

उन्होंने कहा, मैं तब तक नहीं मरूंगा, जब तक जम्मू-कश्मीर अपना पुराना स्तर नहीं प्राप्त कर लेता । (यदि यह अब्दुल्ला का भारत है, तो जम्मू और कश्मीर को अनुच्छेद ३७० की आवश्यकता ही क्यों है, जो इसे भारत के अन्य राज्यों की तुलना में एक अलग पहचान देता है ? जो लोग विभाजन के विचार का प्रचार करते हैं, उन्हें वास्तव में आजीवन कारावास का दंड देना चाहिए। – संपादक) अब्दुल्ला ने भाजपा पर जम्मू-कश्मीर सहित लद्दाख में लोगों से झूठे वादे करने का भी आरोप लगाया ।