इस व्रत में शिव-पार्वती, स्वामिकार्तिक और चंद्रमा का पूजन कर, करवा (नैवेद्य का पक्कान्न) अर्पण करते हैं । इस व्रत को विशेषकर सौभाग्यव्रती स्त्रियां अथवा नवविवाहिता रखती हैं और नैवेद्य के १३ करवे, १ लोटा, १ वस्त्र और १ विशेष करवा पति के माता-पिता को देती हैं । व्रती ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव तथा ‘षण्मुखाय नमः’ से कार्तिक स्वामी का पूजन कर चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन करते हैं ।
(संदर्भ : सनातन का ग्रंथ – ‘त्योहार मनाने की उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र’)