महानगर तथा बडे शहरों में रहनेवाले साधकों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना !

बडे शहरों का असुरक्षित वातावरण, साथ ही वहां तीव्र गति से
बढती रज-तम की प्रबलता के कारण परिवारजनों के साथ गांव अथवा
तहसील में स्‍थानांतरित होने का विचार करें और वहां रहने का प्रबंध करके रखें !

१. तुलनात्‍मक दृष्‍टि से गांव अथवा तहसील में अधिक सुरक्षित वातावरण !

     महानगरों की तुलना में गांव, साथ ही तहसीलों में खुली हवा, प्राकृतिक साधन-संपत्ति (सूर्यप्रकाश, वृक्ष आदि) की प्रचुरता, अल्‍प प्रदूषण आदि होने से वहां का वातावरण सुरक्षित और स्‍वस्‍थ होता है, साथ ही वहां की जीवनशैली स्‍वयंपूर्ण होती है । गांवों में जीवनावश्‍यक वस्‍तुआें की (पानी, सब्‍जियां, फल आदि की) उपलब्‍धता भी सहजता से होती है । स्‍वयं की खेती हो, तो उस पर अपनी जीविका चलाई जा सकती है ।

२. महानगरों में स्‍थानांतरित साधक परिवारजनों के साथ गांव
अथवा तहसील में रहने का विचार करें, साथ ही वहां रहने का प्रबंध करके रखें !

     पहले गांवों में रहनेवाले कुछ साधक शिक्षा, नौकरी, व्‍यवसाय आदि के कारण महानगर तथा बडे शहरों में स्‍थानांतरित हो चुके हैं । संकटकाल में इन शहरों को पहुंचनेवाली (अपरिमित) क्षति को ध्‍यान में रखते हुए महानगरों में रह रहे साधक परिवारजनों के साथ गांव अथवा तहसील में स्‍थानांतरित होने का विचार करें । किसी सुरक्षित स्‍थान पर ‘फार्म हाउस’ (खेत में बना हुआ घर) हो, तो उसे भी चुना जा सकता है । अपना गांव असुरक्षित हो और वहां रहने की व्‍यवस्‍था संभव न हो, तो सुरक्षित अन्‍य वैकल्‍पिक गांव अथवा तहसील चुनें ।

३. आनेवाले संकटकाल में रहने हेतु गांव तथा घर का चुनाव
करते समय निम्‍नांकित महत्त्वपूर्ण मापदंड ध्‍यान में लें !

३ अ. गांव अथवा तहसील चुनते समय ध्‍यान देने योग्‍य बारीकियां

१. जो गांव अथवा तहसील चुनना है, वह महानगर अथवा बडे शहर के बहुत निकट नहीं होना चाहिए ।

२. ‘निकट के गांव सुरक्षित हैं न ?’, यह देखें ।

३. गांव बाढग्रस्‍त, ज्‍वालामुखीय, साथ ही भूकंपप्रवण क्षेत्र में नहीं होना चाहिए । बांध का अतिरिक्‍त पानी छोडे जाने के कारण संभावित बाढ की चपेट में आनेवाले गांव का चयन न करें ।

४. समुद्र, साथ ही नदी तट के निकट स्‍थित गांवों को छोडकर अन्‍य वैकल्‍पिक गांव को प्रधानता दें । इसका कारण यह है कि समुद्र की लहरें, साथ ही नदी में आई बाढ के कारण तटीय क्षेत्र में जलस्‍तर उच्‍चतम स्‍तर तक पहुंच जाता है । इस पानी के कारण तट के निकट के गांव जलमग्‍न हो सकते हैं । इसे टालने हेतु पानी के उच्‍चतम स्‍तर की अपेक्षा ४ मीटर भूमि के स्‍तरवाले (ग्राउंड लेवल) गांवों का चयन करें ।

५. कोयले की खानवाले प्रदेश में खान के नीचे चिनगारी होती है । चिनगारी के कारण कोयला जलकर राख तैयार होती है और भूमि में खोखलापन होने से वह धंस जाती है; इसलिए ऐसे प्रदेश में गांव का चुनाव न करें ।

६. बडे-बडे कारखाने, औद्योगिक परियोजनाएं (इंडस्‍ट्रियल प्‍लांट्‍स) और सिलेंडर के गोदामों में बननेवाले ज्‍वलनशील पदार्थों में विस्‍फोट होकर आसपास के परिसर को बडी क्षति पहुंच सकती है; इसलिए निकट के परिसर में ऐसे कारखाने अथवा परियोजनाएं नहीं होनी चाहिए ।

७. संकटकाल में भी गांव में पानी का पर्याप्‍त भंडार, साथ ही जीवनोपयोगी वस्‍तुएं (पानी, सब्‍जियां, फल आदि की) उपलब्‍धता होनी चाहिए ।

८. कई गांवों में ‘मोबाइल’ नेटवर्क न होने से अन्‍यों से संपर्क करना कठिन हो जाता है; इसलिए ‘गांव में संपर्क व्‍यवस्‍था अच्‍छी है न ?, यह बात ध्‍यान में लें ।

९. गांव का वातावरण साधना, साथ ही व्‍यक्‍तिगत जीवन के लिए अनुकूल होना चाहिए । गांव में अपना घर हो और वहां रहने की उचित व्‍यवस्‍था हो, तो वहां रह सकते हैं । गांव में घर हो; परंतु वहां का वातावरण साधना हेतु पूरक न हो, तो अन्‍य वैकल्‍पिक स्‍थान का विचार करें ।

३ आ. घर के संदर्भ में निम्‍नांकित बारीकियों का अध्‍ययन आवश्‍यक !

१. अपना घर हिन्‍दूबहुसंख्‍यक सुरक्षित क्षेत्र में होना चाहिए ।

२. झोपडपट्टी के कारण होनेवाले अवैध निर्माणकार्य, भीडवाली बस्‍तियां, साथ ही प्रचुर मात्रा में अस्‍वच्‍छता के कारण बीमारियों का शीघ्र फैलना, सिलेंडर के विस्‍फोट, ‘शॉटसर्किट’ आदि के कारण आग लगने जैसी दुर्घटनाएं होती हैं । अतः घर के निकट १-२ कि.मी. की दूरी तक झोपडपट्टी नहीं होनी चाहिए ।

३. अपने आसपास साधक तथा आवश्‍यकता पडने पर हमारी सहायता कर सकें; ऐसे लोग रहते हों, तो बहुत अच्‍छा !

४. ‘क्‍या वहां धर्म का प्रसार, वनौषधियों का रोपण करना आदि सेवाएं की जा सकती हैं ?’, इस पर भी विचार करें ।

३ इ. ‘उक्‍त सभी मापदंड लागू होते हों’, ऐसे गांव अथवा तहसील में स्‍थान मिला, तो बहुत अच्‍छा ! : रज-तम प्रधान गांव अथवा तहसील की अपेक्षा सात्त्विक गांव तथा तहसील की ही रक्षा होनेवाली है । अतः आश्रय का चुनाव करते समय सात्त्विकता, साथ ही उक्‍त सभी मापदंड लगाकर देखें । ‘उक्‍त सभी मापदंड लागू होते हों’, ऐसा गांव और घर ढूंढने का प्रयास करें । ऐसा संभव नहीं हुआ, तो अधिकाधिक मापदंड लागू हो पाएं, ऐसे गांव का चुनाव करें ।

संकटकाल की तैयारी के रूप में गांव में स्‍थित घर में निम्‍मांकित प्रबंध करें !

     अपने गांव के घर में सुधार लाकर उसे रहनेयोग्‍य बनाएं । उक्‍त मापदंडों के अनुसार गांव अथवा तहसील को चुनना हो, तो शीघ्रातिशीघ्र ऐसा कर वहां रहने योग्‍य सभी प्रबंध करके रखें । घर में सौरऊर्जा के उपकरण भी लेकर रख सकते हैं । वहां पहले से ही सभी व्‍यवस्‍था की गई हो, तो संकटकाल का आरंभ होते ही बडे शहर को छोडकर गांव में आश्रय लेकर स्‍वयं के प्राणों की रक्षा करना सुविधाजनक होगा ।

     साधको, गांव अथवा तहसील का स्‍थान चुनने तथा वहां पर स्‍थानांतर होने के संदर्भ में निर्णय अपने मनानुसार न लेकर स्‍थानीय उत्तरदायी साधकों का मार्गदर्शन लें । उक्‍त पद्धति के अनुसार तैयारी की हो, तब भी वर्तमान में गांव में स्‍थानांतरित न हों । इस संदर्भ में कुछ शंका हो, तो अपने उत्तरदायी साधकों से पूछें ।

     ‘महानगर और बडे शहरों की अपेक्षा सुरक्षित गांव में स्‍थानांतरित होने के लिए विचार करना एक प्रकार से संकटकाल की तैयारी करना ही है’, यह समझ लें !

साधकों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना

     महानगर से गांव में स्‍थानांतर होने की दृष्‍टि से कुछ मार्गदर्शक सूत्रे यहां दिए हैं । इस विषय में साधकों को कुछ सूत्र सूझाने हों, तो वह आगे दिए संगणकीय अथवा डाक पते पर भेजें, यह विनती ! उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के अनुसार सुरक्षित गांव पता हो, तो उस संदर्भ में विस्‍तृत जानकारी भेजें ।

संगणकीय पता : [email protected]

डाक पता : श्रीमती भाग्‍यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, २४/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा. पिन – ४०३ ४०१