श्रद्धा और विश्वास के नियम के अनुसार, सभी दर्शनार्थियों से यह प्रमाण लिखवाना संभव नहीं है कि श्री बालाजी पर सभी की श्रद्धा है ।
यदि ऐसा है, तो इस नियम का अर्थ ही क्या है? ऐसेसे कितने अन्य धर्मी दर्शनार्थी मंदिर में आते हैं? आंध्र प्रदेश में ईसाई मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की सरकार होने कारण एवं वाईवी सुब्बा रेड्डी उनके चाचा हैं, इसलिए वे जानबूझकर इस तरह लिखवाने से बचने का प्रयत्न कर रहे हैं !
भाग्यनगर : मंदिर के संचालक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने कहा कि प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में अहिन्दुओं के करने के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है ।
१. ‘तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम’ के अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने कहा कि दुनिया भर से हजारों भक्त तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन करने आते हैं । इन भक्तों ममें अन्य धर्मी भी सम्मिलित हैं । इसलिए, सभी से ‘श्रद्धा और विश्वास के प्रमाण’ लेना संभव नहीं है (तिरुपति मंदिर में प्रवेश से पहले अहिन्दुओं को श्री बालाजी में अपनी आस्था बताते हुए एक लिखित प्रमाण देने का नियम है), उन्होंने संवाददाताओं से ऐसा कहा । इस बात की बहुत चर्चा थी कि अहिन्दुओं के लिए प्रवेश के नियम बदले जाएंगे, रेड्डी ने ऐसा रहस्योद्घाटन किया।
Tirumala Tirupati Devasthanams (TTD) chairman YV Subba Reddy has stated that non-Hindus visiting the hill shrine did not need to declare their faith to be able to enter the temple.https://t.co/c9xSV30DMT
— Bangalore Mirror (@BangaloreMirror) September 19, 2020
This is the TTD declaration form which was kept for Y S Jagan today at Tirumala .. left unsigned ! pic.twitter.com/FoQjyidqiE
— Telugu360 (@Telugu360) November 4, 2017
(गैर-हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने के लिए ऐसा फॉर्म भरना होगा)
२. रेड्डी ने आगे कहा, यद्यपि मैंने उपरोक्त बयान दिया है, तथापि मैंने श्रद्धा और विश्वास के प्रमार के नियमों में किसी भी बदलाव का उल्लेख नहीं किया है । इसलिए, ये आरोप पूरी तरह से झूठे हैं । ‘तिरुपति मंदिर में २० सितंबर से वार्षिक ब्रह्मोत्सव आरंभ हो गया है ।