राज्यसभा में जोरदार हंगामे में एकमत से कृषि संबंधित विधेयक पारित

  • ध्वनियंत्र की तोडफोड

  • सभापति के सामने नियमावाली पुस्तक फाड दी गई

  • ‘लोकतंत्र का मंदिर’ कहे जानेवाली संसद में विपक्षी दलों द्वारा इस प्रकार का कृत्य लज्जाप्रद ! ऐसे सांसदों की सदस्यता रद्द कर उनके पुनः चुनाव लडने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए !
  • वर्ग में हंगामा करनेवाले विद्यालयीन बच्चों को जिस प्रकार दंडित किया जाता है; उस प्रकार इन जनप्रतिनिधियों को झुकाकर खडे करने की, कान पकडकर उठक-बैठक लगाने का दंड देने की किसी ने मांग की, तो उसमें आश्चर्य कैसा ?

नई देहली – राज्यसभा में विरोधी दलों द्वारा किए गए बडे हंगामे में सरकार ने संसद में कृषि से संबंधित विधेयकों को एकमत से पारित कराया । कृषि उत्पाद एवं वाणिज्य (प्रोत्साहन एवं सुविधाएं) और किसान (अधिकार एवं सुरक्षा) मूल्य आश्वस्तता, १७ सितंबर को राज्यसभा में इन २ विधेयकों को पारित किया गया ।

१. सवेरे जब केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इन विधेयकों को राज्यसभा में प्रस्तुत कर रहे थे, तब विरोधी सदस्यों ने इन विधेयकों का विरोध करते हुए हंगामा करना आरंभ किया ।

२. सभापति के सामने के खुले स्थान में जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध नारेबाजी भी की गई । विरोधी दलों ने यह कहते हुए आलोचना की कि ‘ये प्रस्तावित कानून किसानों को उनकी आत्मा पर प्रहार होने जैसे लग रहे हैं; इसलिए हम इस मृत्यु के वॉरंट पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे ।’

३. द्रमुक सांसद एलेंगोवन ने कहा कि देश की कुल जीडीपी में किसानों का योगदान २० प्रतिशत है । इन विधेयकों के कारण उन्हें गुलाम बना दिया जाएगा । ये विधेयक किसानों को मार डालेंगे और एक वस्तु बनाकर रखेंगे ।

४. कांग्रेस के सदस्य गुलाम नबी आजाद ने इस पर चर्चा का समय बढाने की मांग की । उन्होंने कहा कि ‘सदस्यों की यह इच्छा है कि कृषिमंत्री को आज नहीं, अपितु कल उत्तर देना चाहिए’; परंतु तोमर ने अपना निवेदन जारी ही रखा था । उसके कारण क्षुब्ध सांसदों ने उनके सामने के ध्वनिक्षेपक को तोडा, तो तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने तो सीधे सभापति के सामने जाकर सदन नियमावली पुस्तक को ही फाड दी । (इस प्रकार अनुशासनहीन और आक्रामक वृत्ति के सांसद जनता का क्या दिशादर्शन करेंगे ? – संपादक)

५. इस हंगामे के चलते ही विधेयकों को पारित किया गया और उसके पश्चात सदन का कामकाज निलंबित रखा गया ।

सौजन्य : ANI News

ये विधेयक एमएसपी से (न्यूनतम समर्थन मूल्य से) संबंधित नहीं हैं ! – कृषिमंत्री

कृषिमंत्री तोमर ने कहा कि ये दोनों विधेयक ऐतिहासिक हैं । उनके कारण किसानों के जीवन में आमूलचूल बदलाव आएगा । इससे किसान अपनी उपज को पूरे देश में कहीं भी बेच सकेंगे । मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इन विधेयकों का एमएसपी से (‘मिनिमम सपोर्ट प्राइज’ से) कोई संबंध नहीं है । कृषि उपज की खरीद एमएसपी के अनुसार की जा रही है और की जाएगी । इस पर किसी को शंका उपस्थित करने की आवश्यकता नहीं है ।

क्या इन विधेयकों के कारण किसानों की आत्महत्याएं रुकेंगी ? – शिवसेना

शिवसेना ने इन विधेयकों का समर्थन किया है । चर्चा में शिवसेना नेता तथा सांसद संजय राऊत ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि देश के ७० प्रतिशत लोग कृषि के साथ जुडे हैं । पूरी यातायात बंदी की अवधि में भी किसान काम करते रहे थे । इन विधेयकों के पारित होने के पश्चात क्या किसानों की आय दोगुनी होगी, क्या सरकार इसकी आश्वस्तता देगी कि इसके आगे देश में एक भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा ?