लद्दाख के पैंगाँगतालाब के पास घुसपैठ का प्रयास करने वाले 500 चीनी सैनिकों को भारतीय सैनिकों ने खदेड दिया

भारत-चीन के सैनिकों में पुनःसंघर्ष

  • किसी प्रकार की प्राणहानि नहीं !

  • चीन ने पिछले 2 महीने से की थी घुसपैठ की तैयारी

चीन भारत के साथ युद्ध करने हेतु ही बार-बार ऐसी गतिविधियां कर रहा है और उसके पश्चात भारतीय सैनिकों से मार खाकर वापस जा रहा है ! चीन की इस प्रवृत्ति को तोडने के लिए अब भारत को आक्रामकनीति अपनाकर चीन में घुसकर उसे पाठ पढाना आवश्यक है । ‘आक्रमण ही बचाव का उत्तम मार्ग है’ इसे अब भारत को स्वीकार कर लेना चाहिए !

लेह (लद्दाख) – पूर्वी लद्दाखमें पुनःएकबार भारत और चीन के सैनिकों में संघर्ष हुआ । 29 अगस्त की मध्यरात्रि को पूर्वी लद्दाखमें स्थित पैंगाँगतालाब के दक्षिणी तट के पास से चीन की सेना ने घुसपैठ करने का प्रयास किया, तब भारतीय सेना ने इसका जोरदार उत्तर देते हुए 500 चीनी सैनिकों को वहांसे खदेड दिया । तत्पश्चात अब भारत ने इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढा दी है । दोनों सैनिकों में मुठभेड होने के पश्चात चुशूल में दोनों सेनाओं के ब्रिगेड कमांडर स्तर के अधिकारियों में बैठक हुई्। भारतीय सेना ने कहा है कि भारतीय सेना संवाद के माध्यम से शांति बनाए रखने हेतु प्रतिबद्ध है; परंतु उसके साथ-साथ की प्रादेशिक अखंडता की रक्षा करने हेतु भी उतनी ही प्रतिबद्ध है । चीन ने पिछले 2 महीने से यहां घुसपैठ करने की तैयारी की थी, उपग्रहों के माध्यम से प्राप्त छायाचित्रों से यह बात स्पष्ट हुई है ।

१. इससे पूर्व 15 जून को भारत और चीन सेनाओं के मध्य गलवान घाटी में जोरदार मुठभेड हुई थी, जिसमें भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, तो चीन के 40 से भी अधिक सैनिकों के मारे जाने की बात बताई गई थी ।

२. इस मुठभेड से पहले भी भारत और चीन की सेनाओं में अनेक बार संवाद हुआ; परंतु तब भी सीमा पर तनाव अल्प नहीं हुआ है । चीनी सेना पूर्वी लद्दाखसे पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है ।

३. भारत ने अप्रैल महीने से पूर्व की स्थिति बनाए रखने की स्पष्ट भूमिका अपनाई है । एक ओर सेनाधिकारियों की बैठकें चल रही थीं, तो दूसरी ओर विदेश मंत्रालयों के स्तर पर भी चर्चा चल रही है । पूर्वी लद्दाखसे सैनिकों को पीछे हटाने पर दोनों देश सहमत हुए हैं; परंतु उसका क्रियान्वयन होता हुआ दिखाई नहीं देता ।

भारत की ओर से दक्षिणी चीनी सागर में युद्धनौका की तैनाती

भारतीय नौसेना ने गलवान घाटी के संघर्ष के पश्चात के तनाव को देखते हुए दक्षिण चीन सागर में युद्धनौका तैनात की है । इस सागर में अमेरिका ने भी अपनी 2 विमानवाही युद्धनौकाएं तैनात की हैं । चीन इस सागर में वर्ष 2009 से तत्कालीन टापू बनाकर समुद्र में सेना की तैनाती कर रहा है । ऐसा कर उसने अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करने का प्रयास जारी रखा है । इसके कारण पडोसी देशों के साथ चीन का विवाद उत्पन्न हुआ है ।

पैगोंगतालाब क्षेत्र का सामरिकमहत्त्व तथा चीन की घुसपैठ

१. पूर्वी लद्दाख में स्थित पैंगाँगतालाब का क्षेत्र प्राकृतिकदृष्टि से एक सुंदर परिसर है । यह एक पर्यटनस्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है । इस तालाब के मध्य से दोनों देशों की सीमारेखा जाती है ।

तालाब का 45 किलोमीटर का भागभारत के नियंत्रण में है, तो शेष भाग चीन के नियंत्रण में आता है । वर्तमान में पैंगाँगतालाब के उत्तरी तट पर स्थित फिंगर क्षेत्र विवाद का सूत्र बना हुआ है; क्योंकि चीन ने यहां ‘फिंगर फोर’तकघुसपैठ की है ।

२. पैंगाँगतालाब समुद्रतट से 14 सहस्र 500 फीट की ऊंचाईपर स्थित है । इस तालाब के पास जिस प्रकार हाथ की उंगलियों का आकार होता है, उस आकार के 8 पहाड हैं । भारत-चीन के मध्य का सीमा विवाद फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 तकहै । फिंगर 4 तक का क्षेत्र भारत के नियंत्रण में है । फिंगर 4 से फिंगर 8 के क्षेत्र में दोनों देश की सेना गश्त लगाती है ।

३. चीन ने फिंगर 4 तक सडक बनाई है । इस तालाब के तट के पास भारतीय सेना का शिविर है । फिंगर 4 से 8 में भारतीय सैनिक गश्त लगाने के लिए पैदल ही जाते हैं । 5 मई के पश्चात चीनी सेना फिंगर 4 तक आई है । चीनी सेना की इस घुसपैठ के कारण अब भारत के लिए फिंगर 8 तक गश्त लगाने पर मर्यादाएं आई हैं । फिंगर 4 से 8 में कुल 8 किलोमीटर की दूरी है । चीनी सेना ने इस क्षेत्र में स्थाईबंकर, पीलबॉक्सेस और परीक्षण चौकियां बनाई हैं । इस पूरे निर्माण कार्य को गिराकर चीनी सेना का मूल फिंगर 8 तक वापस जाना ही इस तनाव को अल्प करने की प्रक्रिया का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है; परंतु ‘यह इतना सरल नहीं है’ ऐसा एक अधिकारी ने बताया ।